Breaking
Wed. Dec 17th, 2025

17 सूत्री मांगों को लेकर मजदूरों की देशव्यापी आम हड़ताल 9 जुलाई को, कोल्हान में दिखेगा व्यापक असर, ट्रेड यूनियन उतरेंगें सड़क पर, पहलगाम घटना के चलते स्थगित हुई थी 20 मई की हड़ताल

जमशेदपुर: देशव्यापी मजदूर आंदोलन के तहत 9 जुलाई को कोल्हान क्षेत्र समेत पूरे भारत में आम हड़ताल आयोजित की जाएगी. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र कर्मचारी महासंघों के संयुक्त मंच ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. सोमवार को जमशेदपुर में आयोजित प्रेस वार्ता में मंच के नेताओं ने बताया कि यह हड़ताल मजदूरों के अधिकारों की रक्षा, चार श्रम संहिताओं की वापसी और श्रमिकों के शोषण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की शुरुआत है.

पहलगाम घटना के चलते स्थगित हुई थी 20 मई की हड़ताल

मंच ने जानकारी दी कि पहले यह हड़ताल 20 मई को प्रस्तावित थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई जघन्य घटना के बाद उत्पन्न संवेदनशील स्थिति को देखते हुए इसे स्थगित कर 9 जुलाई को पुनर्निधारित किया गया. इसके बाद से मजदूर संगठनों द्वारा 17 सूत्री मांगों को लेकर जनजागरूकता अभियान, प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे है.

मुख्य मांगेंः श्रम संहिताएं रद्द हों, मजदूरों को मिले सुरक्षा और सम्मान

इनके द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2020 में अलोकतांत्रिक ढंग से पारित की गई चार श्रम संहिताओं को मजदूर विरोधी बताया गया है. इन कानूनों से मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा, काम के घंटे, न्यूनतम वेतन, भविष्य निधि, स्थायी नौकरी, यूनियन गठन और सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार प्रभावित होंगे. ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि इन संहिताओं के लागू होने से मजदूरों को नियोक्ता के रहमोकरम पर निर्भर रहना पड़ेगा.

 

सिर्फ मजदूर नहीं, पूरा देश हो रहा है प्रभावित 

नेताओं ने कहा कि कॉरपोरेट को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से श्रमिकों के अधिकारों का दमन किया जा रहा है. साथ ही, सरकारी उपक्रमों का निजीकरण, सामाजिक सुरक्षा बजट में कटौती, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च में कमी और जीएसटी बोझ जैसी नीतियाँ आम जनता को भी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रही हैं. विशेष चिंता प्रवासी मजदूरों, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, महिलाओं और सेवानिवृत्त कर्मियों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर व्यक्त की गई. मंच ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मजदूरों की आवाज सुनने से इनकार कर रही है और पिछले 10 वर्षों से भारतीय श्रम सम्मेलन भी नहीं बुलाया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य संगठनों का समर्थन

हड़ताल की पूर्व संध्या पर 8 जुलाई को कोल्हान के विभिन्न स्थानों पर मशाल जुलूस निकाला जाएगा. 9 जुलाई को अपने-अपने कार्यस्थलों पर हड़ताली कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन के अलावा साकची में बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के अलावा विभिन्न किसान, छात्र, युवा, महिला, साहित्य एवं सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ता भी शामिल होंगे. इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा, विभिन्न क्षेत्रीय ट्रेड यूनियनों, महिला संगठनों, युवाओं, छात्रों, लेखकों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है. मंच ने दावा किया कि कोल्हान क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रमिक इस आंदोलन में शामिल होंगे और यह हड़ताल ऐतिहासिक होगी.

Related Post