चाईबासा: आज आदिवासी उरांव समाज के लोगों ने अपने मसना स्थल (उरांव समाज का कब्रिस्तान) में अपने पूर्वजों को याद करते हुए “हडबोडी अनुष्ठान” बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर उरांव समुदाय के सभी छोटे-बड़े बुजुर्ग मसना स्थल पहुंच कर अपने-अपने पूर्वजों के कब्र पर जाकर उन्हें फूलों से सजाया और घर से बने पकवान लाकर नियमानुसार दिया। विदित हो कि उरांव समाज अपने पूर्वजों को हर साल इसी तरह से याद करता है। कहा जाता है कि कृष्ण पक्ष के पौष माह के सातवें घड़ी में इस अनुष्ठान को मनाया जाता है, जिसे उरांव समुदाय के लोग कोहां बेंजा(बड़ी शादी) भी कहते हैं। मसना समिति के सचिव राजू तिग्गा ने कहा कि इस बार भी बहुत ही उत्साह पूर्वक हमारे सातों अखाड़ा के अलावे बाहर से भी लोग जो हमारे चाईबासा में रहते थे उनके पूर्वज अगर यहां दफनाया गया है, तो वे भी यहां आकर के आज के अनुष्ठान में शामिल हुए हैं। मेला सा माहौल यहां देखा गया। काफी संख्या में लोग उपस्थित होकर आज यहां समाज के पदाधिकारी के साथ मिलकर 2 मिनट का मौन भी रखा और उनके पूर्वजों की पुण्य आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। आज के इस अनुष्ठान के अवसर पर आए लोगों के जरूरत को पूरा करने हेतु विभिन्न तरह के स्टाल भी लगाए गए थे। इसमें चाय, खिचड़ी, घुघनी, मुड़ी आदि। इस अवसर पर स्टोल लगाने में मुख्य रूप से विक्रम लकड़ा के द्वारा पूरी तरह से टेंट की व्यवस्था की गई। स्वर्गीय बिरसा तिर्की एवं पालो तिर्की के के स्मृति में पुत्र शोभा तीर्थ पुलहातु के द्वारा झालमुड़ी, स्वर्गीय गांधी तिर्की के बान टोला स्मृति में चाय बिस्किट, मसना कमिटी के तरफ से चाय बिस्कुट पानी, राजकमल लकड़ा तेलंगाखुरी के द्वारा हलवा खीर, बान टोला महिला समिति की ओर से खिचड़ी एवं धूमकुडिया कमेटी की ओर से चाय घुघनी बिस्कुट की व्यवस्था की गई थी। आज के इस अनुष्ठान में उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय कमेटी के अध्यक्ष संचु तिर्की ने कहा कि आज का दिन हम सबों के लिए बड़ा ही पावन दिन है, क्योंकि आज हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं, जिन्होंने हम सबों को इस लायक बनाया है कि आज समाज में हम सभी विकास के पथ पर अग्रसर है, जरूरत है कि उन सभी पूर्वजों के मार्गदर्शनों पर चलना, क्योंकि उन्होंने हमें शिक्षा का पाठ पढ़ाया है, हम सबों को शिक्षित होना होगा, जागरूक होना होगा। मौके पर कमेटी के सचिव अनिल लकड़ा ने आज के अनुष्ठान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि या हम सबों के लिए बड़ा ही पावन पर्व है, पवन अनुष्ठान है। हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और इस हड़बोड़ी के माध्यम से। अगर हमारे पूर्वजों के क्रिया कर्म में कोई भी कार्य अगर छूट गया होता है, तो उसे भी आज हम लोग पूरा कर लेते हैं। मसना कमेटी के अध्यक्ष पन्नालाल कच्छप ने कहा कि जरूरत है कि हम सभी अपने मसना को ध्यान में रखते हुए साफ-सफाई पर विशेष जोर दे। अभी भी हमारे मसना में बहुत सा काम बचा हुआ है, जिसे करना हमारा दायित्व बनता है। इस अवसर पर बाबूलाल बरहा,दुर्गा खलखो,लालू कुजूर,कृष्णा टोप्पो, डोमा मिंज,धर्मा तिग्गा, छीदिया कच्छप,गणेश कच्छप,खुदिया कुजूर,शंभू टोप्पो,चंदन कच्छप,सुमित बरहा,रोहित खलखो,इशू टोप्पो,बंधन खलखो,सीताराम मुंडा,लक्ष्मी कच्छप,निर्मला लकड़ा,सावित्री कच्छप,किरण नुनिया,मालती लकड़ा,ननकी लकड़ा,प्रकाश कुमार गुप्ता आदि उपस्थित थे l