जमशेदपुर -: भुइयांडीह क्षेत्र में नदी किनारे बसी बस्ती के लगभग 135 घरों को तोड़ने के नोटिस के बाद वहां के बस्तीवासी गोलबंद हो गए हैं। शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर बस्तीवासियों ने एक विशाल प्रदर्शन रैली निकाली, जो जिला मुख्यालय तक पहुंचकर विरोध प्रदर्शन में तब्दील हो गई। बस्तीवासियों ने इस दौरान खुले तौर पर वोट बहिष्कार का एलान कर दिया है और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई।
बस्तीवासियों का कहना है कि जिन घरों को तोड़ने का नोटिस दिया गया है, उनमें रहने वाले लोग रोज कमाने-खाने वाले हैं, जिनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। उनका आरोप है कि इस संकट की घड़ी में क्षेत्र का कोई भी जनप्रतिनिधि उनका साथ नहीं दे रहा है। शुक्रवार के प्रदर्शन के दौरान बस्तीवासियों ने प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि अगर इस अवधि के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वे अपने वोटर कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेजों को निरस्त करने की मांग करेंगे।
बस्तीवासियों का मानना है कि जब उनके घरों को अवैध घोषित किया जा रहा है, तो उनके बाकी अधिकारों का भी कोई अस्तित्व नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि प्रशासनिक नोटिस ने उनकी आजीविका और अस्तित्व पर सीधा हमला किया है, और इस कारण उन्होंने अपने वोट देने के अधिकार को भी वापस करने का फैसला किया
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों में भी हलचल तेज हो गई है। भाजपा, कांग्रेस, और स्थानीय विधायक सभी की तरफ से बयानबाजी जारी है। भाजपा और कांग्रेस ने इसे प्रशासन की विफलता बताया है, जबकि स्थानीय विधायक ने बस्तीवासियों के समर्थन में बयान दिया है। हालांकि, बस्तीवासियों का कहना है कि अब वे किसी राजनीतिक दल या नेता पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है।
प्रदर्शन के बाद बस्तीवासियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे अपने सभी सरकारी दस्तावेज वापस कर देंगे और भविष्य में किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेंगे। उनका यह भी कहना है कि वे अब खुद संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और किसी भी हाल में अपने घरों को टूटने नहीं देंगे।
भुइयांडीह बस्ती के इस विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन और राजनीतिक दलों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कैसे हल करता है और बस्तीवासियों की मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देता है।