प्रिंट रेट से अधिक पैसा लोगों से वसूलना अपराध की श्रेणी में आता है..लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के मुताबिक, किसी उत्पाद पर छपी एमआरपी वह अधिकतम कीमत है जो उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने के लिए चुकानी पड़ती है. अगर कोई दुकानदार एमआरपी से ज़्यादा पैसे लेता है, तो यह अवैध और कानून का उल्लंघन माना जाता है.
इस संबंध में लोगों का कहना है कि शराब में ₹5 तो बियर में ₹10 अधिक लिया जा रहा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोगों का यह भी आरोप है कि कहीं ना कहीं प्रशासन की इसमें मिली भगत है शराब कारोबारी कहते हैं कि प्रिंट रेट से अधिक इसीलिए हम लोग पैसा वसूलते हैं क्योंकि हम लोगों को आला अधिकारियों को भी पैसा देना पड़ता है … तो अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन प्रिंट रेट से अधिक वसूलने को कहते हैं.. या महज़ यह अफवाह है और प्रशासन को बदनाम करने का एक lसोची समझी साजिश ताकि उनकी जेब की गर्मी बनी रहे अब देखना होगा की खबर चलने के बाद प्रशासन क्या संज्ञान लेती है।
संवाददाता मौसम गुप्ता की रिपोर्ट।