नारी तू नारायणी। सिन्धु मिश्रा
नारी से नारायणी तक के सफर को पूरा करने के बीच कई पड़ाव हमें पार करने पड़ते हैं, मैं तो हर रिश्ते में सफल होने वाली माताओं और बहनों के विभिन्न रूपों में ही नारायणी नाम की सार्थकता समझती हूँ ।
बेटी- माँ,पत्नी, सास-बहू,ननद-भाभी,बहन,मामी, मौसी, बुआ,चाची और नानी-दादी ।
इन सभी रिश्तों के बीच अपने-अपने किरदारों को निभाने में अगर हम सफल हुए तो नारायणी शब्द की सार्थकता को हम अच्छी तरह साबित कर सकेंगे ।
हम शक्ति के रूप में दुर्गा,काली,माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं , तो हर नारी में उस शक्ति को क्यों नहीं देख पाते, ये आज एक मुख्य प्रश्न है?
क्यों डायन बताकर महिलाओं की हत्या कर दी जाती है, क्यों घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं बहनें, क्यों दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियाँ कोढ़ बनकर हमारी बहु बेटियों को निगल रही हैं । क्यों इनकी इज़्ज़त को तार तार कर देते हैं ,हैवान ?
इस नवरात्रि में शपथ लें हम , हमारी बहु बेटियों को सशक्त बनाने के साथ साथ उन्हें आदर और सम्मान की दृष्टि से देखेंगे, सिर्फ उनके नाम के बाद देवी शब्द लगाना ही काफी नहीं ,इस शब्द को सम्मान देना भी हमारा कर्तव्य है।
महिलाएँ भी अपनी इस योग्यता को बनाए रखने के लिए अपने प्रति और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति ईमानदार रहें और नारी तू नारायणी तक के सफर को पूरी श्रद्दा और सबूरी के साथ निभाएं।
जय माता दी!
सिन्धु मिश्रा
राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला सेल)
दहेज मुक्त झारखंड
मोबाइल 7070586134