आग लगने की घटनाओं से जंगल को होता है,भारी नुकसान।
जंगल में आग प्रकृतिक कारण नही, शायद जिम्मेदार इंसान…डॉ. डीएस श्रीवास्तव
हर साल गर्मी का मौसम शुरू होते ही पीटीआर ( पलामू टाइगर रिजर्व ) के जंगल और इंडियन वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के वन प्रक्षेत्र के जंगल में कहीं न कहीं आग लगने की घटनाएं रोज घटित हो रही है. कारण जंगल मे महुआ चुनने के लिए लगाने वाले बताया जाता है. लेकिन क्या ये सच है,?
आग लगने की घटनाओं को देख वन विभाग ने वन टेकर और ग्राम इको विकास समिती की जिम्मेवारी तय कि है, की आग बुझाने के साथ आग लगाने वाले शरारती तत्वो को चिह्नित करने को कहा गया है. साथ लोगो को आग से वन संपदा को बचाने की अपील कि है. वही वन टेकर ललकू खेरवार ने बताया कि सोमवार को ओरसा पीएफ के रोड के दोनो तरफ एवं कबरापाठ जंगल में लोगो के द्वारा आग लगा दिया गया था. समय रहते चिकनी कोना, मेढ़ारी के अग्नि सुरक्षा दल के द्वारा आग पर काबू पाया गया अन्यथा अधिक जंगल जाता. फिर भी 15 एकड़ जंगल जल गई.
इस साल भी पीटीआर जंगल मे आग लगने की घटनाएं ज्यादा घटित हो रही है. अब तक पीटीआर के बारेसांड, गारू पूर्वी एवं गारू पक्षिम क्षेत्र के सैकड़ो एकड़ जंगल को आग से छति हुई है.वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के जंगल मेढ़ारी पीएफ महुआकोना व ओरसा पीएफ, कबरापाठ, ओटंगा चुंआ स्थित जंगलो को भी आग से भारी नुकसान हुआ है. आग वन संपदा की भारी नुक़सान पहुंचा रही है. वनकर्मी एवं अग्नि सुरक्षा दल को आग लगने की सूचना मिलते ही आग बुझा रहे है,
वन कर्मी बताते है, कि इस सीजन मे एक स्थान पर आग बुझाकर लौटते हैं, तो दूसरी स्थानों पर आग दिखाई देने लगता है, इससे साफ पता चलता है आग जाने अनजाने नही जानबूझकर शरारती तत्वों के द्वारा लगाई जा रही है।
महुआडांड़ रेंज वृंदा पांडेय ने कहा कि अब तक दर्जनो स्थान पर आग लगने की घटना घटित हुई है, विभिन्न स्तर प्राप्त स्थल का सत्यापन करते हुए, सूचना प्राप्त होते फायर फाइटिंग उपकरण के साथ अग्नि प्रभावित क्षेत्र मे आग को बुझाया जा रहा है.
*ज्ञात हो कि महुआडांड वन विभाग के द्वारा जंगल एवं जानवर की गतिविधि पर नजर रखने के साथ तुरंत विभाग को सूचना देने के लिए इको विकास ग्राम समिती का गठन किया गया है. इन्हे जंगल को आग से बचाने के लिए एयर ब्लोवर मशीन दिया गया है, एयर ब्लोवर प्रेशर से आग बुझाने का काम भी किया जा रहा है।
जिनकी मदद से आग पर तुरंत काबू पाया जा रहा हैं*
डॉ. डीएस श्रीवास्तव ( वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ पलामू ) जंगल में आग लगने की घटनाओ पर कहते है. पीटीआर के जंगल में आग लगना कोई प्रकृतिक कारण नही होता है, ये इंसानो की गलती है. ज्यादा आग की घटनाओं का होना वन विभाग के इच्छाशक्ति की कमी को भी दर्शाता है. जैसे गांव के लोगों का साथ नहीं लेना. जंगल को भारी नुकसान होता है. वन अग्नि की घटना को रोकने के लिए समितियों की सहायता, अग्नि रेखा की सफाई, कंट्रोल बर्निंग एवं महुआ संग्रहण पर निगरानी, महत्वपूर्ण है, जन जागरूकता फैलाना.वन विभाग की जिम्मेदारी है.जबकि ये सीजन, जंगल मे पक्षीयो के अंडा, बच्चा देना का होता है, तितर, बटेर जैसे पक्षी समेत छिपकली, सांप जमीन मे अण्डे देते है. आग इन्हे भारी नुकसान पहुंचाता है, जंगल मे आग लगने से विभिन्न पौधे के बीज भी सूखी पत्ती से भ
बनने वाले खाद जल जाते हैं, फिर जंगल की जमीन पर कुछ नही उगता है. और जब बरसात आता है, तो सुरू होती है, मिट्टी का कटाव फिर जंगल बर्बाद होता जाता है. आग बुझाने कि जिम्मेदारी सिर्फ वन विभाग की ही नहीं है, आस पास के ग्रामीणों की भी है, क्योंकि यह जंगल लोगो के आय का एक स्रोत भी है, इन्हे कैश देता है.जैसे हमारे क्षेत्र मे महुआ, आम, तेंदुपत्ता, धवई फूल, पलास फूल, और शहद साथ कई प्रकार के जड़ी बूटीं इसलिए लोगो को जंगल की रक्षा स्वयं करनी होगीं. अगर हमारे कारण ही जंगल बर्बाद होगा तो नुकसान हमारा ही होगा।