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Fri. Dec 13th, 2024

महुआडांड़ के ओरसा में सड़क की जर्जर हालत को लेकर बैठक, लोगों ने कहा, रोड नहीं तो वोट नहीं,31 जनवरी सोमवार को बिरसा चौक में चक्का जाम।

महुआडांड़ के ओरसा में सड़क की जर्जर हालत को लेकर बैठक, लोगों ने कहा, रोड नहीं तो वोट नहीं,31 जनवरी सोमवार को बिरसा चौक में चक्का जाम।

महुआडांड़ प्रखंड के ओरसापाठ पंचायत मे शनिवार को पंचायत के ग्रामीणो के द्वारा एक बैठक आयोजित कि गई. इस बैठक मे पंचायत के विभिन्न ग्राम से लगभग 400 ग्रामीण जुटे.बैठक मे रोड संघर्ष समिति ओरसापाठ का गठन किया गया. आक्रोशित ग्रामीणो ने केंद्र व राज्य सरकार मुर्दाबाद साथ विधायक एवं संसाद मर्दाबाद और रोड नहीं तो वोट नहीं जैसे नारा भी लगाया. सर्वसम्मति से समिती का अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार यादव को चुना गया. सत्येंद्र कुमार यादव ने कहा कि इस समिति के बैनर तले हम हामी मोड़ से ओरसापाठ की जो जर्जर सड़क है उसे बनाने के लिए संघर्ष करेगे. इसे लेकर अब ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है, अब निर्णय लिया गया है, कि सोमवार एक फरवरी को महुआडांड़ मुख्यालय स्थित बिरसा चौक के पास हम चक्का जाम करेंगे. वही इसे लेकर हमारे द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन भी दिया जाएगा.

ओरसापाठ पंचायत जो प्रखंड मुख्यालय से पश्चिम दिशा की ओर महज 17 किलोमीटर दूर है.ओरसापाठ पंचायत छत्तीसगढ़-झारखंड सीमावर्ती क्षेत्र मे स्थित है, छत्तीसगढ बॉर्डर से सटे होने के वाबजूद भी ओरसापाठ पंचायत तक पहुंच पथ नही है. वन विभाग की भूमि से लोग आते जाते है. वन विभाग कि जिस मार्ग को ग्रामीण आवागमन के लिए इस्तेमाल करते है. उस पथ का कुछ भाग भेड़िया अभयारण्य क्षेत्र अंतर्गत है, मेढ़ारी पीएफ से ओरसापाठ तक जो सात किमी पहुंच पथ है, वह पत्थरीला, घाटी एवं जर्जर और कच्ची सड़क है. यही सड़क ओरसापाठ होते छत्तीसगढ़ के जिला बलरामपुर अंतर्गत सामरीपाठ तक जाती है. ग्रामीण कहते है कि ये सड़क बनने से झारखंड (महुआडांड़)से छत्तीसगढ़ की दूरी महज 22 किमी होगी।

ओरसापाठ पंचायत अंतर्गत ग्राम जामडीह, कुकुदपाठ, चीरो, ओरसा, सुरकई और कबरापाठ है, जो अधिकांश पठार है, 2011 जनगणना अनुसार ओरसापाठ पंचायत की जन संख्या 6,611 एवं कुल 4,400 वोटर है.पंचायत के अंदरूनी सड़को की स्थिति ऐसी कि गांव जामडीह, कबरापाठ, कुकुदपाठ के ग्रामीण पैदल मुख्यालय तक पहुंचते हैं, कूकुदपाठ, जामडीह एवं कबरापाठ तक वाहन से पहुंचने के लिए पहले छत्तीसगढ जाना पड़ता है, फिर झारखंड के इन गांव तक पहुंचते है, शिव यादव, जगेश्वर नगेसिया, हनू अहीर, जुगना किसान, मंगरू नगेसिया अदि ग्रामीण कहते है, आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी पंचायत तक पहुंच पथ नही होना दुर्भाग्य है. सड़क के निर्माण को लेकर अनेको बार उपायुक्त, सांसद और विधायक तक को आवेदन देते आये है।

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