कैट ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन की एक पत्र भेजकर कपड़े एवं फ़ुटवियर पर जीएसटी दर में वृद्धि को स्थगित करने एवं आय कर रीटर्न तारीख़ को आगे बढ़ाने का आग्रह
हम सरकार की अधिसूचना संख्या 14/2017 दिनांक 18/11/2017 की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हैं जिसमे कपड़े और जूते पर लगी कर की दर को 5% से बढ़ाकर 12% किया गया है, जो कि अतार्किक है और जीएसटी कर ढांचे के सिद्धांत का सीधा उल्लंघन है, खासकर ऐसे समय में जब देश का घरेलू व्यापार अभी कोविड के अंतिम दो दौरों के कारण हुई भारी क्षति से उबरने का प्रयास कर रहा है।यह उल्लेखनीय है कि देश भर में जीएसटी संग्रह हर महीने बढ़ रहा है और इस तरह हितधारकों से परामर्श के बिना कर दरों में कोई भी वृद्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के व्यापार को सरल बनाने के आह्वान के विपरीत होगा।
इसलिए, हम आपसे कुछ अवधि के लिए कर की दर में वृद्धि के कार्यान्वयन को स्थगित करने का अनुरोध करते है और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक “टास्क फोर्स” का गठन करने का अनुरोध करते है जिसमें व्यापार के प्रतिनिधि और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हों! इस टास्क फोर्स में कपडे एवं फुटवियर पर जीएसटी दर की वृद्धि पर चर्चा होकर एक आम सहमति बने !
कई वर्षों तक कपड़ा/कपड़ों पर कोई कर नहीं था। कपड़ा उद्योग को फिर से कर के दायरे में लाना ही पूरे कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था। कैट के नेतृत्व में भारत भर के व्यापार संघों ने पिछली जीएसटी परिषद की बैठक के तुरंत बाद एक प्रतिनिधित्व किया था जिसमें कपड़ा पर उल्टे शुल्क संरचना को ठीक करने का प्रस्ताव था। व्यापार और उद्योग द्वारा यह अनुरोध किया गया था कि यथास्थिति यानी 5% की दर से बनाए रखा जाए और दर को 12% से घटाकर 5% किया जाए। यह न केवल अंतिम उपयोगकर्ता पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा और कर चोरी और विभिन्न कदाचार को प्रोत्साहित करेगा। साथ ही जो माल व्यवसायियों के स्टॉक में पड़ा है और एमआरपी पर बेचा गया है, उसका 7 प्रतिशत अतिरिक्त भार व्यवसायियों पर पड़ेगा। कर की दर में यह वृद्धि न केवल घरेलू व्यापार को बाधित करेगी बल्कि निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। पहले से ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के मुकाबले में सक्षम स्थिति में भी नहीं है। एक तरफ सरकार मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करती है, दूसरी तरफ इस तरह के ऊंचे कर लगाने से अनिश्चितता और निराशा का माहौल पैदा होता है।
आयकर रिटर्न दाखिल करने की तिथि का विस्तार: आयकर का नया पोर्टल विभिन्न गड़बड़ियों से ग्रस्त है और एक रिटर्न दाखिल करने में दो घंटे से अधिक समय लग रहा है। इसके अलावा, व्यवसायियों के कर्मचारियों और कर दाखिल करने वालो को कई विभिन्न वास्तविक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इस लिए नए पोर्टल और इसकी उपयोगिताओं को समझाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। पोर्टल पर बार-बार होने वाले परिवर्तनों से बहुत कम पेशेवर वाकिफ हैं, नए पोर्टल की शुरुआत के बाद बहुत कम समय दिया गया है, विभिन्न रूपों में बार-बार परिवर्तन और उनकी उपयोगिता के परिणामस्वरूप काम का दोहराव हो रहा है, जिसके कारण बहुत सारा समय बर्बाद हो जाता है, पोर्टल पर तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण बहुत समय बर्बाद होता है, इसके अलावा विभिन्न अनुपालनों के लिए तारीखों का ओवरलैपिंग करना जैसे आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख, जीएसटीआर 9,और जीएसटीआर -9C, एक और जटिल मुद्दा है।
ऐसी परिस्थितियों में पेशेवरों को हो रही परेशानियों और व्यावहारिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए और व्यवसायियों के हित में जो कर-पेशेवरों, पर अपनी रिटर्न दाखिल करने के लिए निर्भर हैं, उन पर संज्ञान लेते हुए अपने यह अनुरोध है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख को बढ़ाया जा जाए ।हमें इस बात का पूरा यकीन है की इस मुद्दे पर आप पुनः विचार कर , आप हमारे विनम्र सुझाव को स्वीकार करे।