बिजली के लिए तिलैयादामर गांव में टूट रहे हैं कईयों की शादीयां
उपर से हाथियों की तांडव से जूझ रहे हैं ग्रामीण
विकास योजनाओं की लाभ से वंचित हैं महुआटांड़ के ग्रामीण
गांव के किसी घर में टीवी नहीं है
शाम ढ़लते ही पूरा गांव अंधेरा और वीरान हो जाता है
गांव की समस्या के ओर कंपनी का ध्यान नहीं जाना दुर्भाग्यपूर्ण : असगर खान
चंदवा। कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि असगर खान, सेवादल जिला अध्यक्ष बाबर खान, सुदेश गंझु, सुजीत गंझु ने चकला पंचायत के तिलैयादामर गांव का दौरा किया, ग्रामीणों से मिलकर समस्याओं के संबंध में जानकारी ली, गांव से लौटकर नेताओं ने बताया कि इस गांव में समस्या एक नहीं है कई समस्याएं मुंह बाएं ओर खड़ी है, गांव में अच्छी सड़क का आभाव, कृषि कार्य के लिए पेयजल का संकट, उपर से कभी कभी गांव में जंगली हाथियों का तांडव और बिजली के लिए आजादी के बाद से आज तक यह गांव तरसता ही रह गया, दिल तब कचोटता है जब बिजली न होने से कई मौके पर शादी – ब्याह के रिश्ते तक टूट जाते है, बेटी की शादी हो भी गई तो दामाद बिजली नहीं रहने से इस गांव में आना ही नहीं चाहते, और बेटों की शादी के लिए जल्दी कोई लड़की नहीं देना चाहता है,
जिनकी शादी की सारी बात पक्की हो भी गई थी उस लड़की के भाई जब गांव आए तो बिजली का हाल देखकर रिश्ते से मना कर दिया,
यह कहानी अनुसूचित जाति बहुल तिलैयादामर गांव की है
घर – घर बिजली आना आज भी लोगों को सपना है,
प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पहाड़ों, जंगलों से घिरा हुआ है तिलैयादामर , इस गांव में अनुसूचित के 47 घर है,
उबड़ – खाबड़ पथरीले रास्तों से होकर इस गांव में पहुंचा जा सकता है,
तीन सौ से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में रोजी – रोजगार का संकट है और बड़ी परेशानी का सबब बिजली है,
गांव के किसी घर में टीवी नहीं है, शाम ढ़लते ही पूरा गांव वीरान हो जाता है, चिंता इसकी है कि बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है, सरकार और उनके मुलाजिम दंभ भरते हैं कि राज्य में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है तो वह पहिया आजतक तिलैयादामर गांव क्यों नहीं पहुंचा,
पंचायत में हिंडालको कंम्पनियां हैं लेकिन वह लोगों को भलाई कर उसके समस्याओं को दूर करने के बजाय तमाशबीन बनी हुई है, हिंडालको कंपनी का ध्यान इस गांव की ओर नहीं जाना यह जाहिर करता है कि कंपनी को शिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि करना है लोगों की समस्याओं से उन्हें कोई मतलब नहीं है,
दौरे के क्रम में ग्रामीण सुदेश गंझू, सुजीत गंझू, सतीश गंझू, गोबिन्द गंझू, सुगन गंझू, सन्तोष गंझू, अजय गंझू, बिरबल गंझू, मलेसर गंझू, बलकू गंझू, जगदीश गंझू, परसाद गंझू, धनेसर गंझू, सुनिल गंझू, उर्मिला देवी, सरोज देवी, सुकरी देवी, अनीता देवी लक्षमी देवी सरीता देवी कहती हैं कि ढिबरी युग में जीना ही हमारा नसीब है, बिजली के बिना हम मानों जंगली ही रह गए हैं,
उपर से समय – समय पर हाथियों की विचरण होते रहती है, इनके तांडव से कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, जिंदगी भगवान भरोसे चल रही है,
सड़क न होने से तिलैयादामर गांव के लोगों को मुश्किलों का सामना करना होता है,
बरसात के दिनों में तो अनुसूचित जाति के परिवारों की जिंदगी पूरी तरह भगवान भरोसे होती है,
चुनाव के बाद कोई अधिकारी या नेता गांव नहीं आते कोई आ भी जाए तो आश्वासन के सिवाय हमें आजतक कुछ नहीं मिला, इस गांव में तत्काल बिजली पहुंचाने सहित विकास योजनाओं का लाभ देने की मांग उपायुक्त अबु इमरान, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री रामेश्वर उरांव, मंत्री आलमगीर आलम से किया गया है।