*21 सदी में भी इंटरनेट की खोज में पहाड़ों तक पहुंचते हैं ग्रामीण
*उमेश यादव संवाददाता
*गारू*
गारू प्रखंड के आधी आबादी अभी भी इंटरनेट की सुविधा से वंचित है। एक और जहां टेक्नोलॉजी और सुविधा को देखते हुए ऑनलाइन कार्य तेजी से विकसित कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जंगल पहाड़ में नेटवर्क ढूंढना क्षेत्र को विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं के लिए कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है। प्रखंड के बारेसांढ़ और मारोमार में जिओ का नेटवर्क लगा हुआ है परन्तु चालू नहीं किया जा सका है। ग्रामीणों को लगता है कि यह नेटवर्क चालू कराने के नाम पर अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में राजनीतिक किया जाएगा। पीटीआर से प्रभावित इस नेटवर्क विहीन क्षेत्र में पांच हजार के लगभग की आबादी निवास करती है। यहां के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को लगता है कि उनके बच्चे का भविष्य क्षेत्र में रहकर उज्जवल होना बहुत ही मुश्किल है। राजनीतिक पार्टियां भी नेटवर्क के मुद्दा उठा कर राजनीति करने में पीछे नहीं है। जिओ के अधिकारी के अनुसार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा एनओसी नहीं मिलने का मामला आता रहा है। वही बता दे कि अब तक फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और नेटवर्क संबंधित विभाग एक मंच पर आकर लोगों को वास्तविकता बताने से कतराते रहे हैं।
एक ओर जहां पीटीआर क्षेत्र में सड़क की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है, वहीं दूसरी ओर छोटे से छोटे इंटरनेट संबंधित कार्य के लिए लोगों को 20 किलोमीटर दूरी तय करके गारू प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्मोत्सव पर प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में लातेहार जिले के माननीय उपायुक्त अबू इमरान के निर्देश पर ग्राम सभा आयोजित कर विकास की योजनाओं का चयन किया गया। ठीक उसी दिन क्षेत्र में बिजली और नेटवर्क का नहीं होना बापू के सपनों का भारत गढ़ने में ग्रहण लगता प्रतीत होता है। बता दें कि बारेसांढ़ के द्वारसेनी घाटी में कहीं-कहीं जिओ नेटवर्क का सिग्नल मिलता है, कई युवा एक चट्टान में बैठकर इंटरनेट नामक सपनों पर उंगलिया फेर रहे थे। आज हर चार लोग यदि एक जगह पर मिलते हैं तो जिओ कब चालू होगी इसकी बात जरूर होती है। लेकिन उन्हें क्या पता एयर कंडीशन में बैठे जनप्रतिनिधि,नेता और अधिकारी उसका भविष्य लिख रहे हैं। लोगों का मानना है कि जिओ का नेटवर्क चालू होने के बाद क्षेत्र के लिए एक नया अध्याय जरूर शुरू होगी।