सरकार ने राज्य से कुपोषण को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार योजना की शुरुआत की। लाभुकों को समय पर पोषाहार मिले, इसकी जिम्मेदारी सरकार ने जेएसएलपीएस संस्था (झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसायटी) को सौंपी। लेकिन जेएसएलपीएस ने इस वर्ष आठ माह में सिर्फ जून 2021 का ही पोषाहार लाभुकों को उपलब्ध कराया है।
लॉकडाउन अवधि में इस वर्ष केवल जून माह का ही पोषाहार लाभुकों को मिला है। वो भी जून माह के पोषाहार का वितरण जूलाई माह में किया गया।
जेएसएलपीएस ने आंगनबाड़ी केंद्रों को पिछले वर्ष 2020 में मात्र चार माह जनवरी 2020 का अप्रैल 2020 में, फरवरी 2020 का मई 2020 में, मार्च 2020 का अगस्त 2020 में तथा नवम्बर 2020 का नवम्बर 2020 में पोषाहार उपलब्ध कराया है। इसकी जानकारी विभाग के प्रखण्ड से लेकर जिले के अधिकारी गण को भी है।
बता दें कि जेएसएलपीएस को मिली जिम्मेदारी के मुताबिक उसे अपने स्तर पर पोषाहार खरीदकर अपने अधीन सखी मंडल को देना होता है। यह सखी मंडल पोषाहार की वह खेप आंगनबाड़ियों को उपलब्ध कराता है। जेएसएलपीएस इस पोषाहार खरीद का बिल राज्य सरकार को देती है और राज्य सरकार जेएसएलपीएस को इस बिल का भुगतान करती है।
पोषाहार रोका जेएसएलपीएस ने, बदनाम हो रहीं आंगनबाड़ी सेविकाएं
कई आंगनबाड़ी सेविकाओं ने कहा कि जब से जेएसएलपीएस को पोषाहार उपलब्ध कराने का जिम्मा दिया गया है, तब से लाभुकों को समय पर पोषाहार नहीं मिल रहा है। कभी सखी मंडल से कम पोषाहार मिलता है, तो कभी समय पर नहीं मिलता है, तो कभी काफी निम्न एवं घटिया सामग्री दे दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब विभाग से पोषाहार की आपूर्ति होती थी, तो लाभुकों को समय पर उसका लाभ मिल जाता था। उन्होंने कहा कि लाभुकों के समक्ष आंगनबाड़ी सेविकाएं बदनाम हो रही हैं। ऊपर से कुपोषण को लिए सेविकाओं को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। अब जब खुद सरकार ही ध्यान नहीं दे रही है, तो कुपोषण कैसे दूर होगा।
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महुआडांड प्रखण्ड में में कुल नौ हजार 335 हैं लाभुक
महुआडांड प्रखण्ड में कुल 124 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें कुल लाभुकों की संख्या नौ हजार 335 है। महुआडांड प्रखण्ड के लाभुकों की संख्या इस प्रकार से है- 7 माह से 3 वर्ष तक के कुल 4902, 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के कुल 2771, गर्भवती महिलाएं 747 धातृ माताएं 915 हैं। इन्हें नियमित रूप से पोषाहार नहीं मिल रहा है। ऐसे में ग्रामीणों के कोपभाजन का शिकार गांव में आंगनबाड़ी सेविकाएं ही हो रही हैं।
क्या है प्रावधान
धातृ एवं गर्भवती प्रति महिला को :
चावल – 2.500 kg
बादाम – 1.00 kg
दाल – .750 kg
गुड़ – .625 kg
7 माह से 3 वर्ष के प्रति बच्चों को :
चावल – 1.250 kg
बादाम – .750 kg
दाल – .750 kg
गुड़ – .750 kg
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क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं आम लोग
रामपूर की लाभूक प्रशन्ता किण्डो कहती है, कि मुझे आंगनबाड़ी से आठ माह बाद पोषाहार मिला है। जिसमे चावल 1 किलो, बदाम 250 ग्राम, दाल 250 ग्राम, और गुड़ के दो ढेले मिले है। बदाम घुना हुआ और भकड़ा हुआ और दाल भी घटिया किस्म का दिया गया है।
इस संबंध सामाजिक कार्यकर्ता अफसाना ने कहा कि मेरे द्वारा कई जगह देखा गया कि पोषाहार का सही वजन लाभूको को नही दिया जा रहा है, और जेएसएलपीएस के द्वारा सामग्री भी घटिया किस्म की सप्लाई कि गई है। इस लेकर विभाग को सामाजिक अंकेक्षण कराना चाहिए।
क्या कहा अधिकारियों ने
महुआडांड़ के एसडीओ नित निखिल सुरीन ने पूछे जाने पर कहा कि यदि ऐसी बात है तो मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी .
वहीं इस संवाददाता ने जेएसएलपीएस के जिला प्रबंधक सचिन साहू से उनके मोबाइल नंबर (7739066354) पर संपर्क कर उनके पक्ष कथन लेना चाहा परन्तु उनसे बात नहीं हो सकी। उनका पक्ष कथन प्राप्त होते ही स्टोरी को अपडेट किया जायेगा।