लगभग बीस लाख से अधिक राजस्व देने वाला कुड़ू बस पड़ाव में सुविधाओं का घोर अभाव है |न बिजली, न पेयजल की सुविधा है न हीं बरसात के दिनों में जलनिकासी का कोई प्रबंध है |यात्रियों को मौसम की मार झेलते हुए बसों का इंतजार करना पड़ता है |डालटेनगंज की ओर और राँची की ओर जाने वाले बसों को सड़कों पर हीं खड़ा होना पड़ता है |हल्की बारिश में ही जल जमाव हो जाता है जिससे राहगीरों को भी चलने में परेशानी होती है