वॉलीबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाडी़ रह चुकी हैं बालूमाथ की नवनियुक्त बीडीओ राजश्री ललिता बाखला।
*************************संवाददाता टीपू खान की रिपोर्ट बालूमाथ से जिला ब्यूरो बबलू खान के साथ
*बालूमाथ :-‘शिफर से शिखर तक पहुँचने की जिद’ ने ही राजश्री ललिता बाखला को एक सामान्य परिवार से ताल्लूक रखने वाली महिला से प्रसाशनिक पदाधिकारी के जिम्मेदारी तक का सफर संघर्षों के बूते हाशिल किया है। राजश्री के पिता एचइसी में फोरमैन थे।पिता का सपना था बेटी आगे बढ़े। बेटी ने पिता के सपनों को अपने संघर्ष से साकार किया। राजश्री ललिता बाखला प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में बालूमाथ में योगदान करेंगी। राजश्री ललिता बाखला संयुक्त बिहार में 1988-98 तक बॉलीवॉल की नेशनल खिलाड़ी रहीं। 1999 से 2013 तक बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिए पंडरा सरकारी स्कूल में सरकारी शिक्षक की भूमिका अदा की। 2013 में जेपीएससी सिवित सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित कर बीडीओ बनीं। राजश्री महिलाओं को अधिकार दिलाने में हमेशा प्रयासरत रहती हैं। कहती हैं कि उनकी प्राथमिकता रहती है कि महिलाओं को उनका हक मिले। बताया कि उनके पिता विलियम बाखला एचइसी रांची में फोरमैन के पद से सेवानिवृत हुए। जबकि माता मीरा बाखला गृहिणी। राजश्री का परिवार रांची रेलवे स्टेशन के समीप रहता है। बताया कि उनके सात बहन व एक भाई है। इसमें वह तीसरे नंबर पर हैं। पिता ने कभी भी बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझा। हमेशा कहते थे कि उनकी बिटिया नाम करेंगी। मैट्रिक संत अन्ना हाई स्कूल रांची से की। ग्रेजुएशन निर्मला कालेज रांची व बीएड व एमए रांची यूनिवर्सिटी से। खेल के क्षेत्र में काफी नाम कमाने के बाद पिता के ऊपर आठ भाई बहनों को जिम्मेवारी को देखकर बीएड की डिग्री प्राप्त करने के बाद सरकारी शिक्षिका के रूप में राजकीय मध्य विद्यालय पंडरा में योगदान दिया। इसके बाद पिता की हाथ बटाने लगीं। साथ ही पिता के सपने बिटिया को अधिकारी बनाने की नहीं छोड़ी। इस बीच जेपीएससी सिवित सेवा की परीक्षा में सफलता प्राप्त की, तो सोची नहीं थी बीडीओ बनकर अपने पिता की सपना को साकार करेंगी। इसके बाद से वे सामाजिक उत्थान, महिलाओं को सशक्त बनाने और समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजना का लाभ पहुंचाने के प्रयास कर रही हैं।*