Tue. Sep 17th, 2024

आखिर साबित हुआ कि योगेन्द्र साव को पुलिस ने गलत फंसाया, देखें क्या है पूरा मामला

 

 

 

 

*रांची:* पुलिस महानिदेशक सीआईडी ने माना कि अनुसंधानकर्ताओं द्वारा केस डायरी में फेरबदल किया गया था. महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक के आदेश से टंडवा थाना कांड संख्या 90/15 तथा 91/15 के अनुसंधानकर्ताओं पर दर्ज किया गया प्राथमिकी. सीसीएल आम्रपाली कोल परियोजना टंडवा के विस्थापितों के द्वारा भूमि अधिग्रहण में अनियमितता को लेकर किए जा रहे आंदोलन मे पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पूर्व मंत्री के द्वारा लगातार यह आरोप लगाया जाता रहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा प्रशासन का दुरुपयोग कर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मेरे तथा मेरे परिवार पर झूठे मामले दर्ज करवाए गए हैं. जिसकी सीआईडी जांच की मांग पिछले कई सालों से उनके द्वारा लगातार किया जा रहा है. वर्तमान सरकार ने पांच मामलों की जांच करने के लिए सीआईडी को दे दिया है.

 

ज्ञात हो कि टंडवा थाना कांड सं.90/15 तथा 91/15 के अनुसंधानकर्ताओं के द्वारा केस डायरी को ही बदल दिया है, जिसके आलोक में महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक झारखण्ड, रांची के कार्यालय ज्ञापांक 469/पी. दिनांक 04/05/21 तथा पुलिस अधीक्षक, चतरा के कार्यालय ज्ञापांक 3067/अप.शा. के आदेशानुसार टण्टवा थाना कांड सं 91/15 एवं 91/15 के केस अनुसंधानकर्ता पु.अ.नि. गौरी शंकर तिवारी तथा पु.अ.नि सत्येन्द्र कुमार सिंह तत्कालीन चतरा जिला बल पर अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए टण्डवा थाना में काण्ड सं 0081/2021 दिनांक 15/06/21 U/S 420/201/34 IPC के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने का आदेश पारित कर दिया गया है.

 

उक्त के आलोक में विधायक अंबा प्रसाद का कहना है कि मेरे पिता पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव तथा मेरी मां पूर्व विधायक निर्मला देवी सहित मेरे पूरे परिवार पर जितने भी मामले दर्ज किए गए हैं चाहें वो केरेडारी थाना कांड सं 33/12 हो या अन्य थानों मे दर्ज मामले सभी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तथा पद एवं सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री के इशारे पर किया गया है. इसी तरह बड़कागांव थाना में भी कई झूठे मामले दर्ज कर पूर्व मंत्री के ऊपर क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाकर जेल भेजा गया है. बड़कागांव में पुलिस के गोली से घायल किसानों के द्वारा पुलिस के ऊपर न्यायालय में दर्ज कराए गए मामले के आलोक में भी केस के अनुसंधानकर्ताओं के द्वारा तथ्य का भूल बताकर केस डायरी को बंद कर दिया गया. इससे प्रतीत होता है कि इन सारे मामलों में योगेंद्र साव तथा उनके पूरे परिवार को फंसाया गया है. अब देखना यह है कि क्या सीआईडी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई तथा निर्दोषों को दोष मुक्त करती है या आर्थिक लाभ लेकर इस तरह के झूठे मामले दर्ज कर केस डायरी में फेरबदल करने वाले पुलिस कर्मियों को बचाती है।।

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