दुमका प्रियव्रत झा
सरकारी बाबुओं को चढ़ावा चढ़ाने की विभागीय संस्कृति जरमुंडी प्रखंड का दस्तूर बनते जा रहा है। विदित हो कि जरमुंडी प्रखंड मुख्यालय स्थित महिला एवं बाल विकास विभाग में एरियर दिलवाने के नाम पर भ्रष्टाचार का गोरखधंधा व्यापक पैमाने पर चल रहा है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2016 का एरियर 238 सेविका को 39600 रुपया करके भुगतान किया जाना था। लेकिन महज 56 सेविका को सितंबर 2020 में एरियर की राशि दी गई। जिसमें से 182 सेविका को एरियर से वंचित रहना पड़ा। इसके बाद सीडीपीओ कार्यालय में एरियर से वंचित तमाम सेविकाओं से पांच पांच हजार रुपए की वसूली की गई। मजे की बात है कि रिश्वत देने के बाद भी इन सेविकाओं को एरियर का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं सीडीपीओ बमुश्किल से महीने में कभी कभार प्रखंड परिसर स्थित कार्यालय में आती है। रिश्वतखोरी के मामले को लेकर जब सीडीपीओ से दूरभाष से संपर्क साधा गया तो ऑफिस में बात करने का फरमान सुनाती है। मालूम हो कि सीडीपीओ कार्यालय में बिना रिश्वत का काम कराना टेढ़ी खीर है।