देश भर में 25 हज़ार ,झारखण्ड में लगभग 100 करोड़ और कोलहान में 10 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित होगा
इस साल होली का त्योहार देश भर के व्यापारियों के लिए बेरंग साबित होने वाली है। कोविद लॉक डाउन के बाद इस साल होली से शुरु हो रहे उत्सव का देश के रिटेल सेक्टर को लंबे अरसे से इंतजार था और उनकी जरूरत भी। होली से ही साल के बड़े त्योहार की शुरुआत होती है और इस त्यौहार पर लोग जम कर खरीदारी भी करते है। हर साल चीन से होली पर करीब 10 हज़ार करोड़ का सामान होली के रंग और खिलौनों के रूप में भारत में बिकने के लिए इंपोर्ट किया जाता था पर पिछले साल कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) द्वारा दीवाली पर चाइनीज़ समान के बहिस्कार के आह्वान को देश भर में भारी समर्थन मिला था और क्योंकि यह अभियान अभी जारी है जिसके चलते भारतीय व्यापारियों ने होली पर बिकने वाले सामानों की थोक में भारतीय सामान की खरीदारी शुरू कर दी था। चीन सामानों के बहिष्कार के बाद बाजार में उतने समानो की आपूर्ति की तैयारियां भी जोरो पर थी। पर झारखण्ड सरकार समेत सभी राज्यो में होली पर जारी किए गए निर्देशों के बाद देश भर के व्यापारी बेहद चिंतित है और होली सामान का व्यापार करने वाले व्यापारियों के यहाँ स्टॉक का बड़ा अम्बार लग गया है जिसका निपटारा फ़िलहाल कोविड के बड़ते प्रकोप के कारण बेहद असम्भव है ।
कोविद -19 मामलों में एक तेजी से हुई वृद्धि के बीच, इस साल होली का उत्सव मौन होगा। केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को त्योहारी सीजन से पहले हो रही कोविद मामलों की वृद्धि को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने के लिए कहा है। इसी के मद्देनजर सभी राज्य होली उत्सव और उससे जुड़ी खरीदारी और जमावड़े पर या तो अंकुश लगा चुके है या लगाने की तैयारियों में है।
कैट के राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने बताया की होली पर सामुहिक सभाओ, होली मिलन समारोह और गली नुकड़ो में इक्कठा हो कर जश्न मनाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। ऐसे कार्यक्रमों से भी छोटे व्यापारियों को आर्थिक मुनाफा होता रहा है जिसपर अब अंकुश लग चुका है।अकेले झारखण्ड में ही होली के मौके पर हज़ारों छोटे बड़े आयोजन किये जाते रहे है। देश भर में तो ऐसे छोटे बड़े समारोह की संख्या लगभग 40 हज़ार के आस पास होती है , पर अब न तो होली का हुल्लड़ होगा न ही रंगों की मस्ती। इसके अलावा इस साल जब कोई सामाजिक कार्यक्रम ही नही होगा तो लोग घरों में ही रहना पसंद करेंगे। यही कारण है कि होली के एक हफ्ते पहले होने वाली खरीदारी में गिरावट है और बाज़ार सुनसान पड़े है। इस साल कपड़े, रंग , गुलाल और होली के खिलौनों की खरीद फरोख्त में तो दुकानदारो को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है पर मिठाई, नमकीन, हर्बल गुलाल, फूल और पूजा की सामग्री की खरीदारी होने की उम्मीद भी न के बराबर है।
सरकार द्वारा गाइडलाइंस में भी साफ साफ इस साल होली पर किसी भी प्रकार के सामाजिक जलसे या समारोह का आयोजन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। झारखण्ड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी आदेश दिया कि होली, शब-ए-बारात, नवरात्रि आदि के अवसरों पर शहर में कोई सार्वजनिक उत्सव नहीं होगा।वहीं कल केंद्र सरकार की सलाह के बाद देश के प्रायः सभी प्रमुख राज्यों में कोविड गाइडलाइन जारी कर दी गई हैं जिसका व्यापार पर सीधा असर पड़ेगा।
कोविद मामलों में वृद्धि के कारण इस साल लोगो ने भी घर पर ही होली मनाने का मन बना लिया है जिसके कारण होली की खरीदारी में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। होली पर एक अनुमान के मुताबिक़ देश भर में करीब 25 हज़ार करोड़ का व्यापार होता रहा है जिसमे अकेले झारखण्ड में लगभग 100करोड़ का और कोलहान में 10 करोड़ व्यापार होता रहा है। पर इस साल ये व्यापार बुरी तरह प्रभावित होने वाला है। जिससे व्यापारियों के चहरो पर साफ मायूसी देखने को मिल रही है।