सरायकेला: लगभग 10 वर्षों बाद मानव जीवन बिना पानी घोर संकट में आ सकता है, वर्ष 2030 तक शायद भूजल ना रहे, ऐसे में अगर आज से ही जल का संचय नहीं किया गया तो स्थिति भयंकर होगी, यह बातें पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने 22 मार्च विश्व जल दिवस के मौके पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही.
विश्व जल दिवस के उपलक्ष पर आदित्यपुर में पर्यावरणविद अमरेश कुमार के द्वारा जल संचय को लेकर एक परिचर्चा का आयोजित किया गया, परिचर्चा में जल संरक्षण के मुद्दे पर वक्तव्य देते हुए पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने बताया कि नीति आयोग द्वारा प्रकाशित कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में देश के 21 ऐसे शहरों को शामिल किया गया है जहां वर्ष 2030 तक भू जल उपलब्ध नहीं होगा ,दुर्भाग्यवश इस सूची में जमशेदपुर शहर का भी नाम शामिल है, इन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में झारखंड राज्य को 100 में से मात्र 35 अंक के साथ सबसे निचला पायदान प्राप्त हुआ है ,जो कि चिंता का विषय है, परिचर्चा में शामिल अन्य लोगों ने भी जल संरक्षण को लेकर अपने अपने विचार रखें, आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में व्याप्त पेयजल संकट को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की गई जिसमें मुख्य रुप से सीतारामपुर डैम का साफ ना होना, और गंजिया बराज के ना बनने से भविष्य में पानी की किल्लत पर चिंता जाहिर की गई ,पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में सख्ती से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करना होगा, इसके अलावा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना भी अहम कड़ी है , शहरी क्षेत्र में छोटे तालाब या डोभा निर्माण कर भूजल का स्तर बनाया जा सकता है, परिचर्चा में मुख्य रूप से रवि रंजन ,अमित कुमार, डॉ कुणाल, अशोक कुमार आदि उपस्थित रहे.