जमशेदपुर
वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल,रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को को भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ऑनलाइन चल रहे दवाओं के गैर कानूनी बाज़ार पर अंकुश लगाने की मांग की।
कैट ने कहा कि ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से अवैध तरीके से दवाओं को बेचकर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का सीधा उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे मेडिसिन रिटेलर्स, केमिस्ट आदि सेक्टर से जुड़े लाखों लोगों के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जो की सही मायने में कानून और नियमों के सभी प्रावधानों का पालन करके जरूरतमंद लोगों को दवाएं मुहैया करा रहे हैं।
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने श्री गोयल को भेजे गए संचार में कहा की तेमासेक के धर्मेस सेठ एंड इन्वेस्टमेंट, प्रशांत टंडन की 1mg,
सिकोइया जो अब टाटा ग्रुप में मर्ज हो गया है, रिलायंस ग्रुप के स्वामित्व वाले नेटमेड, और वालमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी कंपनियां ऑनलाइन फार्मेसी के बाजार को दूषित किये हुए है। इन बड़ी कंपनियों के चलते रिटेल केमिस्ट और डिस्ट्रीब्यूटर्स को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक प्रथाओं जैसे कि मनचाहे मूल निर्धारण, कैपिटल डंपिंग, और गहरी छूट रिटेल केमिस्ट बाजार को भुखमरी की कगार पर पहुँचा दिया है।
श्री सोन्थलिया ने कहा कि रिटेल केमिस्ट और वितरकों सहित दवा पुनर्विक्रेता देश भर के जरूरतमंद मरीजों के लिए संपर्क के पहले बिंदु हैं। पर इन ई-फार्मेसी कंपनियों के पीछे बड़ी वदेशी फंडिंग होने के चलते ये कम से कम दामो पर दवाएं बेच रहे है जिसका मुक़ाबला हर गली नुकड़ वाले केमिस्ट के छोटे दुकान नही कर सकते। दोनों नेटको ने आगे कहा कि कोरोना महामारी ब्रिक-एंड-मोर्टार फार्मेसियों के लिए विशेष रूप से कठिन रही है जो बेहद कम मार्जिन पर काम करते हैं और ई-फार्मेसियों द्वारा उनके ग्राहकों पर कब्जा उनकी मुसीबतों को और दोगुना कर रहा है।
श्री सोन्थालिया ने कहा की लॉक डाउन के बाद ऑक्टोबर 2020 में दुकानों के खुलने के बाद ई फार्मा कंपनियां जैसे कि मेडलाइफ और फार्म इजी ने ऑनलाइन 30प्रतिशत की छूट जैसे भारी डिस्काउंट दिए इसके अलावा बाजार पर पूरी तरह कब्ज़ा करने के लिए 20 प्रतिशत कॅश बैक और फ्री डिलीवरी भी दी जिसका अर्थ ये हुआ कि कुल 40 से 45 प्रतिशत डिस्काउंट और फ्रे डिलीवरी जैसी लुभावनी स्कीमें ग्राहकों को दी गई। इस तरह के मन चाही कीमत बाजार पर पूरी तरह कब्ज़ा हासिल करने के इरादे से ही दी गई। मेड लाइफ़ और 1 mg जैसी दुकानों ने 25 प्रतिशत डिस्काउंट ऑफर्स दिए जिससे कि बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ। कोरोना महामारी के ठीक बाद दवाओं के बाजार में 75 प्रतिशत की छूट दिन दहाड़े लूट के समान है जिससे न केवल रिटेल फार्मेसी का बाजार प्रभावित हुआ बल्कि अनुचित प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई जिसके दूरगामी परिणाम कभी अच्छे नही हो सकते।
कैट ने कहा कि ऑनलाइन उपभोक्ता डेटा का उपयोग करके, जो अन्यथा पारंपरिक रिटेल फार्मेसी के पास उपलब्ध नही होता, इन ई-फार्मेसियो ने महीने की शुरुआत में 30% की न्यूनतम छूट की पेशकश की और विश्लेषण और परिणामी प्रवृत्ति को पूरा करने के लिए महीने के अंत में लगभग 40% की छूट दी।उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑनलाइन माध्यम से दवाओं और दवाओं की बिक्री अवैध है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत पर्चे वाली दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं है। इसके अलावा ये नामुमकिन है कि ये बड़ी ई फार्मेसी कंपनियां बिना किसी विदेशी आर्थिक मदत के 30 से 40 प्रतिशत डिस्काउंट दे पाए। इस तरीके का असंतुलित बाज़ार रिटेल फार्मेसी के लिए बेहद घातक साबित हो रहे है।