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Sat. Feb 22nd, 2025

फ्रांस और न्यूजीलैंड की रेस में शामिल होने जा रहा श्रीलंका, बुर्के और एक हजार से अधिक मदरसों पर बैन की तैयारी

न्यूजीलैंड (New Zealand) और फ्रांस (France) के बाद ‘बुर्के’ (Burqa) पर प्रतिबंध लगाने के क्रम में अब श्रीलंका (Sri Lanka) भी शामिल होने जा रहा है. श्रीलंका बुर्का पहनने और करीब एक हजार से अधिक इस्लामिक स्कूलों (Islamic Schools) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है. सरकार के एक मंत्री ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. श्रीलंका सरकार के ये कदम देश की अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी (Minority Muslim Population) को प्रभावित करेंगे.

सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वेरासेकेरा ने एक न्यूज कान्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के आधार पर मुस्लिम महिलाओं द्वारा चेहरे को पूरी तरह से ढकने के लिए पहने जाने वाले कपड़े पर बैन लगाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी के लिए शुक्रवार को एक पेपर पर साइन कर दिए.

उन्होंने कहा कि हमारे शुरुआती दिनों में मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने कभी बुर्का नहीं पहना.

2019 में लगाया था अस्थायी बैन

वेरासेकेरा ने कहा कि यह एक धार्मिक अतिवाद का संकेत है जो हाल ही में सामने आया है. मंत्री ने कहा कि हम निश्चित रूप से इस पर प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं. श्रीलंका में बहुसंख्यक आबादी बौद्ध धर्म के लोगों की है. यहां चर्च और होटलों पर इस्लामी आतंकवादियों के हमले, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए थे, के बाद 2019 में श्रीलंका ने अस्थायी रूप से बुर्के पर बैन लगा दिया था.

उस साल के आखिर में, गोटाबैया राजपक्षे, जिन्हें रक्षा सचिव के रूप में देश के उत्तरी हिस्से में दशकों पुराने उग्रवाद को कुचलने के लिए जाना जाता है, को ‘चरमपंथ पर रोक लगाने’ का वादा करने के बाद श्रीलंका का राष्ट्रपति चुना गया. राजपक्षे पर युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर अधिकारों के हनन का आरोप लगाया जाता है. हालांकि वो उन आरोपों को खारिज करते हैं.

शिक्षा नीति की धज्जियां उड़ाने का आरोप

वेरासेकेरा ने कहा कि सरकार की योजना एक हजार से अधिक मदरसा इस्लामिक स्कूलों पर बैन लगाने की है जो उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की धज्जियां उड़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी स्कूल खोलकर बच्चों को जो चाहें वो नहीं सिखा सकता.

पिछले साल श्रीलंका सरकार ने कोरोना से जान गंवाने वालों के शवों का दाह-संस्कार अनिवार्य कर दिया था जो कि मुस्लिमों की इच्छाओं के खिलाफ था, जो अपने शवों को दफनाते हैं. सरकार ये प्रतिबंध अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों की आलोचना के बाद इस साल की शुरुआत में हटा दिया.

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