गिरिडीह
आईना सांस्कृतिक संस्था की ओर से महिला दिवस के उपलक्ष्य पर एक नुक्कड़ नाटक मैं भी इंसान हूँ का मंचन अम्बेडकर चौक पर किया गया।लेखन निर्देशन रंगकर्मी महेश अमन ने किया था।
नाटक का महिला हिंसा विषय था।कलाकारों ने यह दिखाने की कोशिश की है कि एक ओर हम महिला को देवी की संज्ञा से नवाजते हैं वहीं दूसरी ओर अपनी बातों को मनवाने के लिए उसपर जोर-जुल्म करते हैं।जब पुरुषों को लगता है कि उसकी बातें नहीं मानी जा रही है तब हिंसा का सहारा लिया जाता है उसे डराया-धमकाया जाता है और इस क्रम में उसकी हत्या कर दी जाती है और मृत महिला को डायन घोषित कर मामले को नया रूप दे दिया जाता है।
नाटक के माध्यम से यह भी दिखाने की कोशिश की गई है कि जबतक हम नैतिक रूप से शिक्षित नहीं होते तबतक महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं लाई जा सकती।नाटक के अंत में उपस्थित दर्शकों को कलाकारों ने शपथ दिलाई कि हम महिलाओं पर होते जुल्म का विरोध करेंगे तथा एक सभ्य पुरुष की भूमिका निभाएंगे।
कलाकारों में अनन्या, श्रुति,आएशा, निशु,विकास,तरुण,राहुल दास, आदित्य,राहुल और पुरुषोत्तम ने अपनी उम्दा अभिनय का परिचय दिया।सूत्रधार की भूमिका पारस निभा रहा था।
गिरिडीह से डिम्पल की रिपोर्ट