श्योपुरः बेटे की आस में एक महिला ने 6 बेटियों को जन्म दिया. जब छठी भी बेटी ही जन्मी तो उस निर्दयी मां ने बेटी को दूध पिलाना भी बंद कर दिया.
दूध नहीं मिलने से जब बच्ची बीमार हो गई और उसके शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी हो गई तो उसे खून की जरूरत पड़ गई. लेकिन उस महिला ने बच्ची को अपना खून देने से भी इनकार कर दिया. उसने अपना मुंह उस बच्ची की तरफ से फेरते हुए कहा कि उसे मर जाने दो.आखिर एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बेटी उस नवजात पर तरस आया तो उसने रक्तदान किया.
यह घटना मध्य प्रदेश में श्योपुर जिले के नागर गांवड़ा गांव की है.
इस हाईटेक युग में बेटी बेटे से कम नहीं है. नारा भी दिया जा रहा है ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’. लेकिन कुछ एक परिवार की मानसिकता अभी भी नहीं बदली है.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पहुंचने पर खुला मामला: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के अनुसार नागर गांवड़ा गांव में सुरेश बैरवा की पत्नी रामपति बाई ने बेटे की आस में छठवीं संतान के रूप में पांच माह पहले बेटी को जन्म दिया था. करीब चार से साढ़े चार माह तक तो महिला ने बच्ची को स्तनपान कराया, लेकिन बाद में बंद कर दिया. ऐसे में पांच महीने की बच्ची अतिकुपोषित हो गई.
जानकारी मिलने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्ची का वजन लेने पहुंची. वजन लेने पर वह बच्ची बहुत कम वजन की और कुपोषित मिली. बच्ची को भर्ती कराने पर तैयार नहीं हुई मां: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने जब बच्ची के कुपोषित होने की बात कहते हुए उसे भर्ती कराने के लिए कहा तो मां रामपति तैयार नहीं हुई.
जिसके बाद परियोजना अधिकारी को मामले की जानकारी दी गई.अधिकारी गांव में पहुंचे और मां को समझाकर बच्ची को एनआरसी में भर्ती कराया गया. जहां उसका वजन 3.5 किलो और खून 3.2 पाइंट ही मिला. महिला रामपति के खून का नमूना भी लिया गया ताकि बच्ची के खून का मिलान कर उसे चढ़ाया जा सके. लेकिन खून मैच होने के बाद भी मां ने खून देने से मना कर दिया.