आजाद सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजीत झा की अगुवाई में जंतर मंतर पर
जातिगत आरक्षण मुक्त भारत ,सवर्ण आयोग की मांग ,जातिगत कानूनों मे समीक्षा ,गरीब सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षा और वित्तीय बजट आदि मांगों को ले कर धरना प्रदर्शन 28 फरवरी को किया गया। साथ ही इन सभी मांगों की समीक्षा को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया|
झारखंड प्रदेश अध्यक्ष संतोष मिश्रा ने कहा कि आरक्षण के नाम पर जनता को बांटने का खेल बंद होना चाहिए। आरक्षण की वजह से योग्यता और प्रतिभा का गला घोंटा जा रहा है जिसकी आजाद सेना पुरजोर विरोध करती है। सभी सरकारों ने अपनी अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए जातिगत आरक्षण का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि देश आजाद हुए 74 वर्ष हो गए मगर अब तक देश में समानता नहीं आ सकी। अगर देश को उन्नति की ओर ले जाना है और देश की एकता और अखंडता बनाए रखना है तो जातिगत आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। अगर आरक्षण देना ही है तो आर्थिक आधार पर दिया जाय।
संस्था के संस्थापक अभिषेक शुक्ला ने कहा कि आरक्षण के इस व्यवस्था के निर्माताओं का मानना था की उस समय के समाज के पीड़ित वर्ग को आरक्षण देकर उनका स्तर ऊंचा किया जाये ताकि वह भी समाज में अपने आप को अन्य लोगों की तरह स्थापित कर सकें। उनके अनुसार यह व्यवस्था अस्थाई रूप से केवल 10 साल के लिए की गई थी। मगर सरकारों ने इस व्यवस्था का दुरुपयोग कर अपने राजनीतिक लाभ के लिए इसका कार्यकाल बढ़ाते रहे।
इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रंजन द्विवेदी,मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष अभय सिंह भदोरिया, सागर मिश्रा, गीतकार अनु त्रिपाठी और झारखण्ड आज़ाद सेना टीम की ओर से कश्यप तिवारी ,ऋषभ भूमिहार आदि मौजूद रहे।
आजाद सेना ने अपने आगामी कार्यक्रम को लेकर कहा कि उनकी ओर से पूरे देश के हर एक गली मोहल्ले में जाकर लोगों को जातिगत आरक्षण के विरोध में जागरूक करेंगे। लोगों को यह बताएंगे कि आरक्षण के नाम पर हमारे देश के राजनीतिक दल लोगों को जातियों में विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं। देश को योग शासक और प्रशासकों की जरूरत है। अगर सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आजाद सेना इसे लेकर पूरे देश में विशाल धरना प्रदर्शन करेगी।