गारू /लातेहार : कहते हैं सुबह का भुला हुआ शाम तक घर को आ जाय तो उसे भुला नहीं कहते। अर्थात् अगर एक समय सीमा में ही, किसी सुधार को सफल माना जा सकता है। आज एक वैसे ही गांव विजयपुर अपनी अपनी दर्द की दस्तान ब्रिटिश काल से आजादी तक और आजादी से लेकर डिजिटल इंडिया के स्लोगन तक विकास की बाट जोह रही है। बताते चलें की बिजयपुर गांव गारू प्रखंड के दक्षिण पूर्वी छोर पर गुमला जिला के बनारी से सटा हुआ है। रुद पंचायत का यह गांव जो दो टोला विजयपुर तथा हुरहुरकरचा में विभाजित है। यहाँ लगभग सत्तर घरों में सात सौ के आस पास की आबादी है । यहाँ की संपूर्ण आबादी में से सौ प्रतिशत अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग हैं । यहाँ की ज्यादातर आबादी उरांव जनजाति तथा नागेसिया समुदाय के लोग निवास करते हैं ।
गांव में शिक्षा तथा स्वास्थ्य को नहीं मिली प्राथमिकता: ग्रामीण
विजयपुर के ग्रामीणों नें बातचीत में बताया की अभी तक यहाँ पर शिक्षा और स्वास्थ्य में लोग पिछड़े हुए हैं। सरकार के द्वारा अभी तक कोई पहल कारगर साबित भी नहीं हुई है। ग्रामीणों नें बताया की यहाँ पेयजल के लिए पानी टंकी तथा स्ट्रीट लाइट जैसे उपकरण चौदहवी तथा पंद्रहवी वित्त से एक भी नहीं लगाया गया है । ग्रामीण आज भी कुँवा की दूषित पानी पिने को विवश हैं ।
पेंशन व अन्य सरकारी लाभ के लिए ब्लॉक का चक्कर लगाने से भी नहीं होता है काम
सत्तर वर्षीय वृद्ध जॉर्ज मार्टिन कुजूर नें बताया की उनसे छोटे छोटे लोगों को भी पेंशन मिल रहा है । उसने भी कई बारे आवेदन दिए पर अभी तक उनको पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने जिला परिषद के सदस्य सुखदेव भगत को भी समस्या से अवगत कराया परन्तु अस्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला ।
एक भी नेटवर्क नहीं है इस गांव में
ज्ञात हो की रुद पंचायत में कोई भी मोबाइल नेटवर्क नहीं लगा है। वैसे में डिजिटल इंडिया का स्लोगन पे दाग साफ झलकती है। ग्रामीणों नें बताया की कहीं कहीं निश्चित स्थान पर जिओ का नेटवर्क से लोग बात चित का आदान प्रदान करते हैं। ग्रामीणों नें मीडिया के माध्यम से प्रशासन को ध्यान आकृष्ट करने का आग्रह किया गया।
गारू से संवाददाता उमेश यादव की रिपोर्ट जिला ब्यूरो बब्लू खान की रिपोर्ट लातेहार से