अहमदाबाद की एक महिला ने ये दावा किया है कि बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला को POCSO एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न के उनके हालिया विवादास्पद फैसले के खिलाफ विरोधस्वरूप 150 कंडोम के पैकेट भेजे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक होने का दावा करने वाली देवश्री त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने 12 अलग-अलग स्थानों पर कंडोम भेजे थे, जिनमें जस्टिस पुष्पा, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की रजिस्ट्री और मुंबई हाईकोर्ट की प्रिसिंपल सीट शामिल थी।
त्रिवेदी ने कहा, “मैं अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक नाबालिग लड़की को जज के फैसले के कारण न्याय नहीं मिला। कहा- मैं मांग कर रही हूं कि उसे (न्यायमूर्ति पुष्पा को निलंबित किया जाए।”
त्रिवेदी न्यायमूर्ति गनेदीवाला के 19 जनवरी को दिए फैसले का जिक्र किया है, जहां उन्होंने यौन शोषण के एक आरोपी को इस आधार पर बरी कर दिया था कि उसने कपड़े के ऊपर एक बच्ची के स्तनों को दबाए बिना “त्वचा से त्वचा तक” शारीरिक संपर्क “यौन हमला” POCSO अधिनियम के अधीन नहीं बनता है।
त्रिवेदी ने कहा, उसने 9 फरवरी को कंडोम के पैकेट भेजे थे और उनमें से कुछ की डिलीवरी रिपोर्ट मिली थी।
उन्होंने आगे कहा कि “एक महिला के रूप में, मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ भी गलत किया। मैनें कोई अपराध नहीं किया। महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना पड़ता है। न्यायमूर्ति गनेदीवाला के इस आदेश से, पुरुष औरतों-बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न कर सकते हैं।
हालांकि, नागपुर पीठ के रजिस्ट्री कार्यालय ने कहा कि उन्हें इस प्रकार का (कंडोम) कोई पैकेट नहीं मिला है। नागपुर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने कहा, “ये अवमानना का एक स्पष्ट मामला है। हम मांग करते हैं कि इस महिला के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
फरवरी 2019 में उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त न्यायमूर्ति गनेदीवाला को जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, विवादास्पद निर्णय सामने आने के बाद, कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश वापस ले ली। पिछले सप्ताह, सरकार ने जज गनेदीवाला के कार्यकाल को एक वर्ष के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में बढ़ाया है।