कमलेश सिंह :- घाटशिला
झारखंड में आठ वर्षों तक अपनी सेवा देकर नक्सलियों के छक्के छुड़ाने वाले तेज तर्रार सीआरपीएफ के कमांडेंट संजय कुमार सिंह डीआईजी बनना घाटशिला अनुमंडल एवं झारखंड के लिए गौरव की बात है। उन्होंने नक्सलियों के ऊपर ऐसा शिकंजा कसा था कि कई नक्सली उनके कार्यकाल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में ढेर हो गए या तो अपने आप को को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हुए ।
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कमांडेंट संजय कुमार सिंह के दबिश के कारण ही गुड़ाबांदा दस्ता के नक्सलियों ने पुलिस के सामने अपने आप को आत्मसमर्पण किया था। जब तक वे मुसाबनी 193 बटालियन में बतौर कमांडेंट रहे लगातार गुड़ाबांंदा जंगलों में छापेमारी अभियान चला कर रखा था। कई बार नक्सली सुपाई टुडू से इनके टीम की मुठभेड़ भी हुई थी। कमांडेंट की दहशत से नक्सली सुपाई ने इनके रहते इलाका छोड़ दिया था। जब इनका स्थानांतरण 27 बटालियन दिल्ली हो गया तो सुपाई टुुडू गुडाबादा क्षेत्र में फिर सक्रिय हो था और एक दिन पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारा गया।
डीआइजी बन रायपुर में संभालेंगे कमान
मुसाबनी सीआरपीएफ 193 बटालियन में अपनी सेवा के लिए मशहूर कमांडेंट संजय कुमार सिंह को डीआईजी में प्रमोशन देकर फिर एक बार नक्सलवाद को कुचलने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र छत्तीसगढ़ के रायपुर में तैनात किया गया है । रायपुर में सीआरपीएफ डीआइजी की जिम्मेदारी नक्सल मूवमेंट के लिए अहम मानी जाती है।
पैतृक गांव बिहार के जमालपुर का में है मूल निवासी
कमांडेंट से डीआईजी रैंक में प्रमोशन पाने वाले संजय कुमार सिंह का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के जमालपुर गांव में 11 जुलाई 1968 को हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय जमालपुर से हुई। इन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा आरबी हाई स्कूल कथैया से ग्रहण की। इस दौरान इन्होंने अपने स्कूल में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करके अपने स्कूल में टॉप किया था। इन्होंने अपनी इंटर की पढ़ाई एमएस कॉलेज मोतिहारी से एवं स्नातक की पढ़ाई एलएस कॉलेज मुजफ्फरपुर से अंग्रेजी में की थी। भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर बिहार से अंग्रेजी में इन्होंने एमए तक की शिक्षा प्राप्त की।
1993 में सीआरपीएफ के बने थे सहायक कमांडेंट
संजय कुमार सिंह पढ़ाई पूरी करने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सम्मिलित हुए। जब वे परीक्षा में उत्तीर्ण हुए तो 30 जून 1993 को वे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में सहायक कमांडेंट के पद पर पहली बार पदस्थापित हुए थे । इनका मूल प्रशिक्षण वाली सिग्नल बटालियन दिल्ली में वर्ष 1993 से 94 तक हुआ था।
सात वर्षों तक जम्मू- कश्मीर के संवेदनशील जगहों पर थी इनकी तैनाती
सहायक कमांडेंट के पद पर प्रशिक्षण लेने के बाद संजय कुमार सिंह की तैनाती 7 वर्षों तक जम्मू एवं कश्मीर में रही। इस दौरान इन्होंने लाल चौक एवं जवाहर टनल जैसे संवेदनशील स्थानों पर अपनी कमान संभाली थी।
आठ वर्षों तक झारखंड में नक्सलियों के छुड़ा चुके हैं छक्के
संजय कुमार सिंह बतौर कमांडेंट झारखंड के बरही में तैनात 203 कोबरा बटालियन के कमांडेंट रहे। इन्होंने झारखंड के अति संवेदनशील इलाके सारंडा जंगल, बूढ़ा पहाड़, लातेहार ,पलामू ,जमशेदपुर के गुड़ाबांधा में नक्सल विरोधी अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने के साथ ही झारखंड में लगातार 8 वर्षों तक अपनी सेवा देकर इन्होंने बड़े बड़े नक्सलियों के कमर तोड़ने का काम किया है। इनके कार्यकाल में अनेक बड़े नक्सली कमांडर या तो मार गिराए गए या उन्हें आत्मसमर्पण करने पर मजबूर होना पड़ा । 193 बटालियन मुसाबनी में पदस्थ रहते हुए उन्होंने जोनल ट्रेंनिंग सेंटर का संचालन कुशलतापूर्वक करवाया। जहां आज पूरे देश के सीआरपीएफ जवान नक्सल विरोधी अभियान का प्रशिक्षण ले रहे हैं।
मुसाबनी में सामाजिक कार्योंं के लिए अलग है संजय सिंह की पहचान
मुसाबनी में रहते हुए इन्होंने कई ऐसे सामाजिक कार्य किए जिसे लोग आज भी याद करते हैं । आम जनता के साथ आत्मीय संबंध ने इनके व्यक्तित्व में और निखार ला दिया था। अपने जवानों और स्कूली बच्चों के साथ वे प्रतिदिन फुटबॉल खेलते थे जिससे क्षेत्र में इनकी अलग पहचान बन गई थी। वे मुसाबनी से 28 नवंबर 2016 को 27 बटालियन में स्थानांतरित होकर दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय एवं इजरायल एंबेसी जैसे संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने की जिम्मेदारी संभाली रखी थी।
राष्ट्रपति ने पुलिस मेडल से किया है सम्मानित
कमांडेंट संजय कुमार सिंह अपने 27 साल की सेवा के दौरान कई प्रशंसनीय कार्य किए। इनके शौर्य,कार्यकुशलता व पराक्रम को देखते हुए इन्हें अनेक बार महानिदेशक डिस्क एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में 26 जनवरी को इनकी सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित भी किया चुका है । 30 दिसंबर को इन्हें कमांडेंट के पद से पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर पदोन्नत करने के उपरांत पुलिस उपमहानिरीक्षक रेंज रायपुर छत्तीसगढ़ जैसे नक्सलवाद ग्रस्त संवेदनशील इलाके का कमान सौंपा गया है।