नई दिल्ली: ग्लोबल डिजीज बर्डन स्टडी (Global Burden of Disease Study 2019) में आईसीएमआर (ICMR) ने प्रदूषण (Pollution) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. स्टडी के मुताबिक, भारत में पिछले वर्ष प्रदूषण की वजह से 16 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई है. सिर्फ इतना ही नहीं, प्रदूषण की वजह से भारत को 2 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. ये नुकसान भारत की GDP के 1.4 प्रतिशत जितना है. कई बच्चों की मौत वक्त से पहले होने की वजह से भारत को 2 हज़ार 880 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान दिल्ली को
राजधानी की बात करें तो दिल्ली को प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ है.देश में 18 प्रतिशत मौतें प्रदूषण की वजह से हुई हैं. राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रदूषण का सबसे बुरा आर्थिक असर पड़ा है. आंकड़ों के मुताबिक, हर घंटे 282 और हर रोज़ 4 हज़ार 383 लोग प्रदूषण की वजह से जान गंवा रहे हैं. आईसीएमआर (ICMR) की स्टडी में बताया गया है कि 29 वर्षों में इनडोर Air Pollution 64% घटा जबकि आउटडोर Air Pollution 115% तक बढ़ गया.
5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के सपने को झटका
द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ The lancet planetary health में प्रकाशित डेटा के मुताबिक, ज्यादातर मौतों की वजह पार्टिकुलेट मैटर PM 2.5 यानी हवा में मौजूद धूल के कण और इनडोर प्रदूषण है. इस स्टडी के मुताबिक, प्रदूषण की वजह से भारत के साल 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने के सपने को झटका लग सकता है.
भारत में प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर दिल्ली में और सबसे कम केरल में देखा गया. 4 राज्यों में सबसे ज्यादा प्रदूषण का असर, दिल्ली, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश में देखा गया है. 56 प्रतिशत आबादी अभी भी चूल्हे पर खाना पकाती है जो प्रदूषण की वजह बनता है. हालांकि पिछले 29 वर्षों में इसमें काफी कमी आई है.
कुल मौतों में से –
-9 लाख 80 हज़ार मौतें PM 2.5 की वजह से हुई हैं.
-6 लाख 10 हजार मौतें घरेलू प्रदूषण की वजह से हुई हैं.
-जबकि 1 लाख 70 हज़ार लोगों की जान ओज़ोन प्रदूषण ने ली है.
पिछले 29 वर्षों में क्या बदला
भारत में कुल 18 प्रतिशत मौतें प्रदूषण की वजह से हुई हैं जिनमें से 10 प्रतिशत PM 2.5 की वजह से, 6.5 प्रतिशत घरेलू प्रदूषण और लगभग डेढ़ प्रतिशत मौतें ओजोन प्रदूषण की वजह से हुई हैं. भारत में पिछले वर्ष प्रदूषण की वजह से 40 प्रतिशत लोग फेफड़ों की बीमारी के शिकार हुए जबकि 60 प्रतिशत लोग दिल की बीमारी, डायबिटीज़ और स्ट्रोक के शिकार हो गए.
अब हम आपको बता दें कि पिछले 29 वर्षों में क्या बदला है-
-64 प्रतिशत कटौती इनडोर प्रदूषण में हुई है.
-115 प्रतिशत बढ़ोतरी वायु प्रदूषण में हुई है.
-135 प्रतिशत बढ़ोतरी ओज़ोन प्रदूषण में हुई है.