बीर खालसा दल ने कृषि कानून 2020 को जनहित में निरस्त करने के लिए पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त के माध्यम से केंद्र सरकार, झारखंड सरकार एवं कृषि मंत्रालय के नाम एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें कृषि कानून 2020 की खामियों को बतलाते हुए एवं किसान हित, जनहित और राष्ट्र हित को मद्देनज़र रखते हुए कृषि विधेयक 2020 को पूर्ण रूप से निरस्त करने की माँग की है।
बीर खालसा दल के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर सिंह ‘रिंकू’ ने कृषि विधेयक 2020 की खामियाँ बतलाते हुए कहा कि “एक तरफ केंद्र सरकार जहाँ भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र निर्माण की बात करती है वहीं इस कानून द्वारा भ्रष्टाचार को न्यौता दिया जा रहा है। किसी निजी कम्पनी या व्यापारी द्वारा अनाज को अनियमित जमा करने की छूट से काला बाज़ारी बढ़ेगी और इसमें कोई शक नहीं है कि निजी कम्पनियाँ मनमाने मूल्य पर अनाज को बेच कर अपनी तिजौरी भरेंगी। निजी कंपनियों के लिए एमएसपी का प्रावधान लागू न करना इस विधेयक की सबसे बड़ी खामी है और निजी कंपनियों के आने से मंडी व्यवस्था पूर्ण रूप से खत्म होने के कगार पर आ जायेगी जो देश हित मे बिल्कुल सही नहीं है।”
वहीं संस्था के जनरल सेक्रेटरी जे.एस. कंबोज ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान और कम्पनी के बीच किसी भी विवाद को एस डी एम द्वारा समाधान देने के विषय पर जोर डालते हुए कहा कि “इस कानून के तहत सरकार किसान को कमजोर कर रही है, किसान को न्यायालय जाने से वंचित रखना, निजी कम्पनियों को अनुचित करने का लाइसेंस देने जैसा है। इसलिए सरकार इसे पूर्ण रूप से निरस्त करें।”
ज्ञापन देने के लिए बीर खालसा दल की ओर प्रदेश अध्यक्ष रविंदर सिंह रिंकू के साथ जे.एस. कम्बोज, जसबीर सिंह गिल, श्याम सिंह भाटिया, हरविंदर सिंह, दलजीत सिंह, मनमीत सिंह इत्यादि शामिल थे।