चांडिल
चांडिल भारत सरकार के केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने खरसावां स्थित मां आकर्षणी मंदिर अतिथिगृह में सोमवार को काशी साहु कॉलेज सरायकेला के प्रिंसिपल डॉ0 गुरुपद रजवार द्वारा लिखित किताब
”विलेज एडमिनिस्ट्रेशन इन दी कोल्हान”
का विमोचन किया। मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि प्राचीन काल से कोल्हान का इतिहास काफी गौरवपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सिंहभूम के अनेकों वीरगाथा आज भी प्रचलित है। यहां के माटी के निवासियों ने कभी पराधीनता स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि चाहे मुगल आक्रांता हो या ब्रिटिश शासक सिंहभूम के माटी में सभी बाहरी शासकों को पराजय स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास को जीवित रखने की आवश्यकता है। किताब के लेखक प्राचार्य डॉ0 गुरुपद रजवार ने कहा कि आज भी कोल्हान में मानकी मुंडा का शासन प्रणाली प्रचलित है। यह शासन व्यवस्था काफी प्राचीन काल से है। यह पारंपरिक शासन व्यवस्था मानकी, पडहा राजा, पाहन, मुंडा, माझी, डाकुआ, तहशीलदार आदि सात पद पर सुशोभित है और शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु इसके अंतर्गत कई शाखा है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गहन अनुसंधान कर यह किताब लिखा गया है। किताब के माध्यम से कोल्हान के प्राचीन परंपरागत शासन व्यवस्था को जीवंत रखने का प्रयास किया गया है। कोल्हान का शासन व्यवस्था वर्तमान में भी पंचायती राज व पारंपरिक ग्रामीण शासन प्रणाली पर आधारित है। इस अवसर पर पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय, भाजपा के जिलाध्यक्ष विजय महतो, पूर्व जिलाध्यक्ष उदय प्रताप सिंहदेव, पूर्व प्रदेश मंत्री शैलेंद्र सिंह, किसान मोर्चा के जिला संयोजक मनोज कुमार महतो, भाजयुमो जिला महामंत्री अभिषेक आचार्या आदि उपस्थित थे।
लेखक का संक्षिप्त परिचय
डॉ0 गुरुपद रजवार का जन्म सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल अनुमंडल के ईचागढ़ गांव में हुआ। वे वर्तमान समय में कोल्हान विश्वविद्यालय के वरियतम प्राचार्य के रुप में के एस कॉलेज सरायकेला में सेवारत हैं। इसके पूर्व चाईबासा के स्नातकोत्तर केंद्र में 1981 से 1994 तक राजनीति शास्त्र विषय का व्यख्याता रहें। उसके बाद बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा चयनित स्थायी प्राचार्य के रूप में डॉ0 रजवार 1994 में के एस कॉलेज सरायकेला, 2005 में टाटा कॉलेज चाईबासा, 2007 में सिंहभूम कॉलेज चांडिल में कार्य किया व 2018 से के एस कॉलेज में पुनः स्थायी प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं।
चांडिल से संजय शर्मा