Breaking
Thu. Mar 13th, 2025

केजीएमयू: कोरोना की जांच में यूं हो रहा पूरा खेल, निगरानी से पकड़ में आया मामला

केजीएमयू में कोरोना की जांच में खेल चल रहा है। निजी अस्पताल में भर्ती मरीज यहां आते हैं और कर्मचारियों को सुविधा शुल्क के साथ सैंपल देकर गायब हो जाते हैं। तीन दिन पहले मरीज से रुपये लेते ऐसे दो कंप्यूूटर ऑपरेटर और दो गार्ड पकड़े भी गए। हालांकि, अभी तक इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है। वहीं, कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहे इस खेल से गरीब और गंभीर मरीजों को होल्डिंग एरिया में जगह नहीं मिल पाती है।

निजी अस्पताल में इलाज कराने वालों में लक्षण दिखने पर डॉक्टर कोविड की जांच कराने की सलाह देते हैं। इसके ढाई से तीन हजार रुपये जमा कराए जाते हैं, जबकि ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में मरीजों से कोविड जांच की फीस नहीं ली जा रही है।

ऐसे में यहां के डॉक्टरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से निजी अस्पताल के मरीज जांच कराने ट्रॉमा पहुंच जाते हैं और होल्डिंग एरिया में भर्ती हो जाते हैं।
निजी अस्पताल के मरीज व उनके तीमारदार कर्मचारियों को तीन से पांच सौ रुपये घूस देकर कोरोना की जांच करा लेते हैं। सैंपल देने के बाद ये चुपचाप गायब हो जाते हैं। मरीज पॉजिटिव होता है तो उसे संबंधित नंबर पर फोन कर ढूंढा जाता है, लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आने पर मामला खत्म हो जाता है। इसकी रिपोर्ट कर्मचारी व्हाट्सएप से भेज देते हैं।

रोजाना हजार सैंपल पहुंच रहे लैब सैंपल की संख्या में इजाफा होने पर निगरानी की गई। तीन दिन पहले संविदा पर कार्यरत दो कम्प्यूटर ऑपरेटर व दो गार्ड मरीज से रुपये लेकर जांच कराते पकड़े गए। कार्यदायी एजेसिंयों को ब्लैकलिस्टेड करने की धमकी दी गई। सूत्र बताते हैं कि कम्प्यूटर ऑपरेटर एक राजनीतिज्ञ के खास थे।

उनका फोन आने के बाद केजीएमयू मामला निपटाने में जुट गया। इससे पहले अगस्त में सैंपल देने के बाद दो मरीज गायब हो गए। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो हलचल मच गई। उनका मोबाइल नंबर भी बंद था। काफी प्रयास के बाद दोनों मरीज पकड़े जा सके थे।

केजीएमयू में इन दिनों ज्यादातर मरीज ट्रॉमा सेंटर के जरिये भर्ती हो रहे हैं। इनका औसत दो से ढाई सौ रहता है। 20 से 20 मरीज क्वीन मैरी से आते हैं। तीमारदारों, भर्ती मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों को मिलाकर रोजाना औसतन सात से आठ सौ का सैंपल लिया जाता है। ट्रॉमा आने वाले गंभीर मरीजों की जांच ट्रूनेट और तीमारदारों, सामान्य मरीजों की जांच आरटीपीसीआर से कराई जाती है।

कार्रवाई करेंगे सूत्र बताते हैं कि सिर्फ आरटीपीसीआर के रोजाना एक हजार से 1200 सैंपल माइक्रोबायोलॉजी लैब पहुंच रहे हैं। इनमें भी रेजीडेंट डॉक्टरों व कर्मचारियों की मिलीभगत बताई जा रही है। सप्ताहभर पहले लैब की ओर से केजीएमयू परिसर के अधिक सैंपल आने पर भी आपत्ति जताई गई थी और सभी विभागाध्यक्षों से निगरानी को कहा गया था। इस बीच ट्रॉमा सेंटर में निजी अस्पताल के मरीजों की जांच का मामला पकड़ में आया।

ट्राॅमा सीएमएस से पूरे मामले की जानकारी लेकर केजीएमयू प्रशासन नियमानुसार कार्रवाई करेगा। – डाॅ. सुधीर सिंह, मीडिया प्रभारी केजीएमयू

Related Post