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सरकार का अंधविरोध करते-करते विपक्ष अब संसदीय मर्यादाओं के विरोध पर उतर गया है, संसद की परंपरा और मर्यादा क्‍या होती है,विपक्षी दलों को इससे जैसे कोई मतलब ही नहीं है,

राकेश मिश्रा(जिला मीडिया प्रभारी)

जमशेदपुर:

सरकार का अंधविरोध करते-करते विपक्ष अब संसदीय मर्यादाओं के विरोध पर उतर गया है, संसद की परंपरा और मर्यादा क्‍या होती है,विपक्षी दलों को इससे जैसे कोई मतलब ही नहीं है,कृषि विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) बिल राज्‍यसभा से भी ध्‍वनि मत के साथ पारित हो गए ।परिणामस्वरूप विपक्ष बुरी तरह बौखला गया और अपनी खीझ मिटाने के लिए संसद की मर्यादा लांघ गया । जहां तक बिलों की बात है, उन्हें पूरी संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक तरीके से पारित किया गया, लेकिन विपक्ष ने इस तरह हंगामा मचाया जैसे की इसे बिना प्रक्रिया पूरी किए पास कर दिया गया हो।तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने विपक्ष की गरिमा एवं सदन की मर्यादा को ताक पर रखते हुए राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश के सामने ही सदन की रूल बुक फाड़ दी, माइक तोड़ दिए।

अब तो ऐसा प्रतीत होता है की बीपक्ष को लोकतान्त्रिक ब्यवस्थाओ में बिश्वास नहीं रहा,जबकी आज जो दल बिपक्ष में है कभी वह खुद सत्ता में थे,बिपक्ष का कृत्य पूरी तरह निंदनीय है।

राकेश मिश्रा

जिला मीडिया प्रभारी

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