जमशेदपुर:-
साइकिल पूरी दुनिया में एक ऐसी सुविधा है जो कभी भी किसी हालत में नहीं रुका है। उक्त बातें अग्रवाल फाउंडेशन जमशेदपुर के अध्यक्ष श्रवण मित्तल ने कही है उन्होंने राजधानी न्यूज़ के पत्रकार से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि आज जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट का सामना कर रही है ऐसे में साइकिल उनके जीवन में फिर से लौट आया। राज्य से लेकर देश विदेशों में साइकिल की बिक्री इन दिनों में दुगनी हो गई। जमशेदपुर में सैकड़ों मजदूर शहरों की जिंदगी से परेशान होकर अपने गांव की ओर साइकिल पर ही निकल पड़ते हैं कई मजदूरों का परिवार भी साइकिल पर ही अपने घर के लिए निकल पड़ा।
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कब हुई थी साईकल की शुरूआत
जिस साइकिल से आज पूरी दुनिया जुड़ी हुई है, इस सफर की शुरुआत 223 साल पहले हुई थी। साइकिल बनाने के पीछे पहले सोच साधन और सुविधा की थी जो अब सेहत से जुड़ गई है, 1817 में पहली बार जर्मन ड्यूक शासक की सेवा में लगे एक सरकारी अफसर कार्ल वॉन ड्रैस ने दुनिया की पहली दो पहिया साइकिल बनाई थी। जिसे बाईसाइकिल कहा गया और उस वक्त इसका नाम ड्रेसिनी रखा गया, जिसका सामान्य अर्थ था हल्का वाहन, जो आपको बिना मोटर के एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा दें।