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चंदवा अंचल में बिचौलिए हावी रिश्वतखोर कर्मचारी और बिचौलिए मस्त।   ग्रामीण त्रस्त

लातेहार। *चंदवा अंचल में बिचौलिए हावी*

*रिश्वतखोर कर्मचारी और बिचौलिए मस्त*

*ग्रामीण त्रस्त*

चंदवा संवाददाता मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

*रिश्वतखोर कर्मचारियों की शिकायत उपायुक्त के जनता दरबार मे होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने उलटे उन्हें संरक्षण मिलने से रिश्वतखोर कर्मचारियों के मनोबल बढ़ रहे हैं*।

*रिश्वतखोर राजस्व कर्मचारीयों में अधिकारियों का कोई डर भय नहीं है*

*यह बातें सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान ने कही*

*कहा कि ऑफिस खुलने से पहले कार्यालय में पहुंच जाते हैं बिचौलिए*।

*पांच बजे ऑफिस बंद होने के बाद बिचौलिए घर के लिए रवाना होते हैं*।

*बिचौलियों से राजस्व कर्मचारी घिरे रहते हैं*।

*राजस्व कर्मचारी अपने पास घंटों बिचौलियों को बिठाए रखते हैं*।

*अपने काम के लिए जब ग्रामीण कर्मचारी के पास जाते हैं तो कर्मचारी यह कहकर काम करने से इंकार कर देते हैं कि यह काम होने वाला नहीं है इसमें लेटिगेशन है*।

*इसके बाद बिचौलिए उसी ग्रामीण से सम्पर्क करते हैं कि हम काम करा देंगे इतना पैसा लगेगा*।

*फिर सेंटिंग गेंटिंग कर उस ग्रामीण का काम कर्मचारी और बिचौलिए मिलकर कर देते हैं*।

*बिना बिचौलिए के राजस्व कर्मचारी एक भी काम नहीं करते हैं*।

*राजस्व कर्मचारीयों की मनमानी सर चढ़कर बोल रहा है*।

*कुछ कर्मचारी तो अधिकारियों और पदाधिकारियों की सुनते ही नहीं हैं*।

*कुछ रिश्वत खोर कर्मचारीयों को तो पदाधिकारी ही संरक्षण दे रहे हैं इससे रिश्वतखोर कर्मचारियों के हौसले आसमान पर हैं*।

*चंदवा की जनता राजस्व कर्मचारीयों की रिश्वतखोरी से त्रस्त है*।

*सरकार किसी का हो गांव की ही सरकार क्यों न बदल जाए रिश्वतखोर कर्मचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता*।

*राजस्व कर्मचारीयों के डेरे में बिचौलिए दिन दिन भर डेरा जमाए हुए रहते हैं*।

*शिकायत के बाद भी रिश्वतखोर कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से जिला और अंचल प्रशासन के प्रति भरोसा उठ रहा है*।

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