Wed. Oct 23rd, 2024

महुआडांड़ के डिपाटोली में ग्यारहवीं शरीफ को लेकर मिलादखानी लंगरखानी का किया गय एहतमाम।

महुआडांड़ के डिपाटोली में ग्यारहवीं शरीफ को लेकर मिलादखानी लंगरखानी का किया गय एहतमाम।

महुआडांड़ स्थित ग्राम दीपाटोली में डॉक्टर जमशेद खान के घर में मंगलवार को अब्दुल कादिर जिलानी गौसे पाक की याद में जश्ने गौसुलवरा का आयोजन किया गया। इस मौके पर मिलादखानी लंगरखानी का एहतमाम किया गया।

इस कार्यक्रम की शुरुवात कुराने पाक के तिलावत के साथ की गई।उसके उपरांत मदरसों के के तलबाओ के द्वारा गोसे पाक रजि अल्लाह ताआला अन्हो की शान में नात शरीफ पढ़ाई गई। कार्यक्रम में हजरत हाफिज व कारी मौलाना तजम्मूल हुसैन फैजी अमजदी के द्वारा अजमेर का जब यह मंजर है, बगदाद का मंजर क्या होगा। रहते हैं जहां नबियों के नबी वह शहरे मुनव्वर क्या होगा।जब हुस्न था उनका जलवा नुमा अनवार का आलम क्या होगा। हर कोई फिदा है बिन देखे दीदार का आलम क्या होगा नात पढ़ी गई।

वहीं हजरत मौलाना मुस्ताक अहमद ज्याई के द्वारा गौसे पाक रजि अल्लाह ताला अन्हो की जीवनी की व्याख्या करते हुए बताया गया की गौसे पाक उस हस्ती का नाम है जिन की शान बयान करते करते सुबह से शाम हो जाए लेकिन उनकी शान को हम बयान नहीं कर सकते। ये वलियों के वली है इनकी शान बहुत बड़ी है। जिन्होंने अपनी सारी जिंदगी सच्चाई के रास्ते पर चलकर बिताया। इनकी जीवनी से हम लोगों को सीख लेनी चाहिए और उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए।इनके बताए रास्ते पर चलकर ही कामयाबी हासिल किया जा सकता है।

वहीं जामिया नूरिया जिया उल इस्लाम के मोहतमिम हजरत मौलाना सउद आलम मिस्बाही के द्वारा भी अब्दुल कादिर जिलानी गोसे पाक रजि अल्लाहु ताला अन्हो के जीवनी के बारे में विस्तृत रूप से लोगों को जानकारी दी गई। और उनके बताए रास्ते पर चलने को कहा गया।

 

वहीं हज़रत मौलाना शोएब रजा हनफी के द्वारा गोसे पाक रजि अल्लाहु ताला अन्हो के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए एक वाक्या बयान करते हुए बताया गया कि जब वे छोटे थे तो उनके घर वालों के द्वारा इल्म हासिल करने के लिए कहीं दूर भेजा जा रहा था। उस वक्त कहीं आने जाने के लिए कर ऐसी साधन मुहैया नहीं थी। जब वहीं हासिल करने के लिए जा रहे थे तो उनके वालिदा मोहतरमा के द्वारा सच का साथ नहीं छोड़ने को कहा गया था बोला गया था कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो जाए हमेशा सच बोलना है और उसके कपड़े में कई अशरफिया छुपा कर इल्म हासिल करने के लिए रवाना कर दिया गया। रास्ते में कुछ डकैतों के द्वारा रास्ता रोक लिया गया। उस वक्त यह बहुत छोटे थे जब उनसे पूछा गया कि तुम्हारे पास जो भी है हमें बता दो। उस डकैतों की बात सुनकर गोसे पाक रजि अल्लाह ताला अनु ने सच्चाई का दामन ना छोड़ते हुए अपने मां के द्वारा दिए गए सरसों के बारे में बता दिया। जिसके बाद डकैतों के द्वारा बोला गया कि तुमने हमें क्यों बता दिया कि तुम्हारे पास इतनी अशरफिया हैं। तो उन्होंने बताया कि हमें हमेशा सच बोलने के लिए सिखाया गया है चाहे कोई भी परिस्थिति हो जा मैं झूठ नहीं बोल सकता। जिसके बाद इनकी बातों को सुनकर सभी डकैतों को ताजुब हुआ और डकैती छोड़कर सच्चाई के रास्ते पर आ गए।

कारी मकबूल साहब के द्वारा भी उपस्थित लोगों को गोसे पाक के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। जिसके उपरांत हज़रत मौलाना सऊद आलम मिस्बाही और हजरत हाफिज व कारी मौलाना तजम्मूल हुसैन फैजी अमजदी के द्वारा संयुक्त रुप से मिलादखानी किया गया और सलाम पढ़ी गई। जिसके बाद मौलाना मुस्ताक अहमद ज्याई के द्वारा दुआ किया गया। वहीं उपस्थित लोगों को अहले खाना के द्वारा शिर्नी बांटी गई और कार्यक्रम का समापन किया गया। मौके पर मौलाना रेहान कादरी सदर इरशाद अहमद डॉक्टर फ़ैज़ अहमद सगीर अहमद जावेद अहमद सोहेल अख्तर खुर्शीद आलम अकबर अली समेत अन्य लोग मौजूद थे।

Related Post