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आईआईटी कानपूर में विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने पर शोध करेंगें बालूमाथ के नदीम अख्तर। सीएसआईआर नेट की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर 56वां व आईआईटी गेट की परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर 503रैंक हाशिल कर बालूमाथ का नाम किया रौशन

*आईआईटी कानपूर में विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने पर शोध करेंगें बालूमाथ के नदीम अख्तर।*

*************************टीपू खान की रिपोर्ट

*सीएसआईआर नेट की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर 56वां व आईआईटी गेट की परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर 503रैंक हाशिल कर बालूमाथ का नाम किया रौशन*

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*बालूमाथ (फ्रीलांस जर्नलिस्ट):- ‘मंज़िल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।’ किसी शायर के इन पंक्तियों को जीवंत कर दिखाया है बालूमाथ के ग़ालिब कॉलोनी निवासी नदीम अख्तर ने। ‘इमारत-ए-शरिया’ रांची के सामान्य से कर्मचारी रहे शमीम अहमद के पुत्र नदीम अख्तर का चयन भारत के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में पीएचडी के लिए रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) में किया गया है। जहाँ वह रसायन विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने पर शोध करेंगे। इससे पहले नदीम अख्तर ने सीएसआईआर द्वारा संचलित की गयी परीक्षा ‘नेट’ में ऑल इंडिया रैंक 56 तथा आईआईटी द्वारा संचालित की गयी परीक्षा ‘गेट’ में 503 रैंक हाशिल किया है। नदीम के इन उपलब्धियों से बालूमाथ गौरवांवित हुआ है।नदीम ने प्रारंभिक शिक्षा बालुमाथ आरके हाई स्कूल से पूरी की है। ज्ञात हो की उन्होंने 2012 में मैट्रिक परीक्षा में 81 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पहले ही ये साबित कर चुके हैं कि मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो संसाधनों का आभाव आड़े नहीं आता। बीएससी और एमएससी की पढाई देश की प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से रसायन विज्ञान में पूरी की। नदीम ने पढाई के दौरान संसाधनों का आभाव व अन्य कठिनाइयों को कभी अपने उपर हावी नहीं होने दिया, बल्की कड़ी परिश्रम व मन में कुछ कर गुजरने की ललक को अपना हथियार बनाकर लक्ष्य को प्राप्त किया। रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अंसुलझे पहलुओं पर गहन शोध कर अपने क्षेत्र व देश का नाम रौशन करना इनका लक्ष्य है। पांच भाइयों में नदीम से बड़े दो भाई ‘आलम-ए- दीन’ व एक जेआरएफ के रिसर्च स्काउलर र्हैं। वहीं एक छोटा भाई ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ से ‘एमबीबीएस’ की डिग्री हासिल की है। नदीम अपनी इस सफलता का श्रेय अल्लाह के बाद माता-पिता गुरुजनों को तथा मित्रजनों को देते हैं। नदीम के इस सफलता पर अंजुमन सुबहानुल मुस्लीमीन समेत अनेक गणमान्य लोगों ने खुशी ज़ाहिर करते हुए बेहतर मुस्तकबिल की कामना की है।*

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