जमशेदपुर/एजेंसी । जमशेदपुर में नगर निगम बनाम औद्योगिक नगर का मामला 1988 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार सरकार के नगर विकास विभाग ने 23 नवंबर 1990 को अधिसूचना जारी कर दी कि जमशेदपुर की बढ़ती को आबादी को देखते हुए इसे नगर निगम बनाना आवश्यक हो गया है।
बिहार एंड उड़ीसा म्युनिसिपल एक्ट-1922 के तहत जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति को नगरपालिका में परिवर्तित कर दिया जाए। यह अधिसूचना राज्यपाल के आदेश से झारखंड सरकार के संयुक्त सचिव आरबी झा ने जारी किया था। इस आदेश पर टाटा स्टील के तत्कालीन सीएमडी (चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक) रूसी मोदी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
जमशेदपुर में अपने बंगले के बाहर बैठक में उन्होंने लगभग चीखते हुए कहा था ‘ये गवर्नमेंट तो क्या इस गवर्नमेंट का बाप भी म्युनिसिपलिटी नहीं बना सकता’।
तब थी लालू प्रसाद की सरकार
उस समय बिहार में लालू यादव की सरकार थी। स्व. मोदी ने उस वक्त कहा था कि यह मामला तो कोर्ट में कम से कम 40 साल तक चलेगा। ये बातें 17 जनवरी 1991 को जमशेदपुर डेटलाइन से हिंदी व अंग्रेजी के अखबारों में छपी थी। इस अधिसूचना के खिलाफ उसी समय टाटा स्टील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी, जो आज भी लंबित है। इसके बाद ही जमशेदपुर में नगरपालिका या नगर निगम के खिलाफ जोरदार आंदोलन चला था। इसी दौरान टाटा स्टील के तत्कालीन प्रबंध निदेशक डा. जेजे ईरानी की अगुवाई में कंपनी के अधिकारियों व शहरवासियों ने पदयात्रा करते हुए उपायुक्त कार्यालय के सामने धरना भी दिया था।
टाटा स्टील को मिला था अवार्ड
नगरपालिका के खिलाफ जोरदार आंदोलन के लिए टाटा स्टील को अवार्ड भी मिला था। 31 मई 1993 को जमशेदपुर के एक अखबार में खबर छपी थी, जिसमें लिखा था कि इंटरनेशनल पब्लिक रिलेशंस एसोसिएशन ने इस वर्ष का गोल्डेन ग्लोब अवार्ड टाटा को दिया है। यह अवार्ड जमशेदपुर में नगरपालिका गठन के खिलाफ व्यापक और कुशल जनसंपर्क अभियान चलाने के लिए दिया गया है।