मनीफिट के 75वें कीर्तन दीवान में बही आस्था और भक्ति की बयार, दो दिवसीय समागम में उमड़ी संगत*
*हजूरी रागी सतिंदरबीर सिंह, कथावाचक चमकौर सिंह और ढाढ़ी जत्था गुरप्रताप सिंह ने सबद-कीर्तन से संगत को किया निहाल*
सिख पंथ के नौवें पातशाह, हिन्द दी चादर, धर्म के रक्षक महान शहीद-श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज तथा भाई सती दास जी, भाई मति दास जी और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित दो दिवसीय कीर्तन दरबार में आस्था और भक्ति की अलौकिक बयार बही।
रविवार को मनिफिट के डीवीसी मैदान में
सिख नौजवान सभा (मनिफिट यूनिट) के तत्वावधान में साध-संगत के अपार सहयोग से आयोजित 75वाँ भव्य कीर्तन व कथा दरबार में अकाल तख्त श्री दरबार साहिब अमृतसर से पधारे हजूरी रागी भाई सतिंदरबीर सिंह, कथावाचक चमकौर सिंह धन और ढाढ़ी जत्था गुरप्रताप सिंह पदम ने अपने मधुर सबद-कीर्तन गायन से संगत को ऐसा निहाल किया कि दरबार ने संगत के दिलों में आस्था की लहर दौड़ा दी। रविवार को संपन्न हुए इस समागम में भक्ति की अलौकिक बयार बही और हजारों संगत ने गुरु महाराज के चरणों में माथा टेका। आंखों में आंसू, दिल में श्रद्धा और मुख से गुरबाणी की अमृतवाणी, ऐसा लगा मानो गुरु तेग बहादुर जी स्वयं संगत के बीच विराजमान हों। अकाल तख्त श्री दरबार साहिब अमृतसर से पधारे हजूरी रागी भाई सतिंदरबीर सिंह, कथावाचक चमकौर सिंह धन और ढाढ़ी जत्था गुरप्रताप सिंह पदम ने अपने मधुर शबद-कीर्तन और वीर रस से भरी वाणी से संगत को निहाल कर दिया। जब रागियों ने गुरबाणी के शबद गाए, तो पूरा मैदान “बोले सो निहाल सतश्रीअकाल” के जयकारों से गूंज उठा। कथावाचकों ने गुरु जी के बलिदान को इतनी सरल और भावुक तरीके से वर्णन किया कि हर श्रोता की आंखें नम हो गईं कि कैसे गुरु महाराज ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया और कैसे उनके अनुयायियों ने क्रूर यातनाओं को हंसते हुए सहा। संगत भाव-विभोर होकर गुरु की महिमा गाती रही और हर दिल में यही भावना जागी कि आज भी हमें गुरु जी की तरह आस्था पर डटे रहना है।
इस दीवान में तख्त श्री हरमंदिर साहिब पटना के महासचिव इंद्रजीत सिंह, सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह, चेयरमैन सरदार शैलेंद्र सिंह, साकची के प्रधान निशान सिंह, परमजीत सिंह काले, गुरचरण सिंह बिल्ला, सुखदेव सिंह बिट्टू, परविंदर सिंह सोहल और हरमिंदर सिंह मिंदी समेत कई गणमान्य सिख शख्सियतों ने शिरकत की। दो दिनों के दौरान सुबह और शाम के दीवानों में करीब अठारह हजार संगत ने गुरु के दर पर हाजिरी लगाई और अटूट लंगर ग्रहण किया। चाय-जलपान से लेकर गुरु के लंगर तक, हर व्यवस्था इतनी श्रद्धा से की गई कि संगत ने मन ही मन गुरु को कोटि-कोटि बनाम किया।
समागम को सफल बनाने में सक्रिय सदस्य सुरेंदर सिंह सन्नी के अलावा तरसेम सिंह, हरपाल सिंह, मनजीत सिंह, अमरीक सिंह, राजेंद्र सिंह, गजराग सिंह, जसबीर सिंह, राजेंद्र सिंह गोल्डी, परमजीत सिंह, सतनाम सिंह, गुरमीत सिंह और सलाहकार शमशेर सिंह सोनी जी का सराहनीय योगदान रहा। सरदार सुरेंद्र सिंह सन्नी ने कहा कि यह 75वां कीर्तन दरबार ऐतिहासिक सफलता प्राप्त कर सका, इसके लिए कोल्हान क्षेत्र की समस्त साध-संगत का हार्दिक आभार।
यह समागम सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी से प्रेरणा लेने का अवसर था।

