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Thu. Dec 11th, 2025

जमशेदपुर में इंकैब इंडस्ट्रीज के अधिग्रहण पर मजदूरों का विरोध, एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ लड़ाई का ऐलान

जमशेदपुर : एशिया में कभी निर्यात और गुणवत्ता के लिए पहचानी जाने वाली इंकैब इंडस्ट्रीज के वेदांता लिमिटेड को अधिग्रहण किए जाने के एनसीएलटी के आदेश ने मजदूरों और कर्मचारियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। करीब 25 वर्षों से बंद पड़ी इस केबल कंपनी को लेकर 3 दिसंबर 2025 को आए फैसले को मजदूर संगठनों ने अन्यायपूर्ण बताते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया है। केबुल संघर्ष समिति ने साफ कर दिया है कि इस फैसले के खिलाफ वे एनसीएलएटी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

मंगलवार को जमशेदपुर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में केबुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.बी. महतो, महामंत्री यू.के. शर्मा और कोषाध्यक्ष कल्याण साहू ने कहा कि एनसीएलटी कोलकाता के आदेश में 1,655 लेनदारों के कुल 46 अरब रुपये से अधिक के दावों में से मजदूरों को मात्र छह प्रतिशत राशि देने का प्रावधान किया गया है, जो उनके साथ खुला अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि असली कामगारों को नाममात्र की राशि दी जा रही है, जबकि कुछ कथित फर्जी दावेदारों को कई गुना अधिक भुगतान का रास्ता साफ किया गया है।

यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि यह पूरा समाधान प्रस्ताव पूंजीपतियों और फर्जी दावेदारों के हित में बनाया गया है, जिससे लगभग 1500 से अधिक वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मजदूरों की आर्थिक उम्मीदें पूरी तरह अनिश्चित और अंतहीन हो गई हैं।

कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता उनके आवास को लेकर है। यूनियन ने दो टूक कहा कि कंपनी द्वारा बनाए गए क्वार्टर और बंगले किसी भी हालत में तोड़े नहीं जाने चाहिए। वहीं दूसरी ओर पुटारा स्टील द्वारा सबलीज का दावा और वेदांता की ओर से पुराने आवासीय परिसरों पर दावे ने मजदूर परिवारों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।

संवाददाता सम्मेलन में समाधान प्रक्रिया और कंपनी की वित्तीय स्थिति पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। यूनियन का आरोप है कि वर्ष 2000 के बाद से कंपनी की बैलेंस शीट का ऑडिट नहीं हुआ है, जबकि कानून के अनुसार बिना ऑडिटेड बैलेंस शीट के देनदारियों को मान्य नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि वर्ष 2000 तक कंपनी के स्टॉक और बकाया वैधानिक देयों में भारी अनियमितताएं रही हैं, जिनका आज तक स्पष्ट लेखा-जोखा सामने नहीं आया है।

केबुल संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि वेदांता ग्रुप का रिवाइवल प्लान मजदूरों के हित में नहीं है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। समिति ने राज्य सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग की है और चेतावनी दी है कि मजदूर अपने हक की लड़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। समिति के नेताओं ने कहा कि एनसीएलटी का यह फैसला उनके लिए पूरी तरह अमान्य है और इसके खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।

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