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Wed. Dec 17th, 2025

मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद शिलान्यास: धार्मिक आयोजन के बीच सुरक्षा-राजनीतिक तनाव बढ़ा, हाईकोर्ट ने रोक से इनकार किया

मुर्शिदाबाद।पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में शनिवार को बाबरी मस्जिद के शिलान्यास का भव्य आयोजन हुआ, जिसने पूरे इलाके में राजनीतिक और सामाजिक दहशत बढ़ा दी। यह कार्यक्रम अयोध्या की बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बरसी के दिन आयोजित किया गया, जिससे इसे लेकर संवेदनशीलता चरम पर थी। आयोजन के पीछे मुख्य चेहरे निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर थे, जिन्होंने इसे धार्मिक उभार और मुसलमानों के अधिकारों की आवाज़ बताया।शिलान्यास स्थल बेलडांगा के मोरादिघी इलाके में लगभग 25 बीघा जमीन पर स्थापित किया गया था, जहां एक 150 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा भव्य मंच तैयार किया गया था। इस मंच पर 400 से अधिक प्रतिष्ठित मेहमानों के बैठने की व्यवस्था की गई, जिसमें देश-विदेश के सऊदी अरब सहित कई इस्लामी देशों से आए धर्मगुरु शामिल थे। आयोजन के लिए सात स्थानीय किचन यूनिटों ने भोजन व्यवस्था संभाली, जिसमें 40,000 मेहमानों के लिए शाही बिरयानी और 20,000 स्थानीय निवासियों के लिए भी भोजन का प्रबंध था।सुरक्षा के लिहाज से यह आयोजन बेहद चुनौतीपूर्ण था। करीब 3,000 स्वयंसेवक भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक मैनेजमेंट और कार्यक्रम के दिग्गज संचालन को सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए गए। प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल के साथ केंद्रीय सुरक्षा बल भी तैनात किए, जबकि बीएसएफ की टुकड़ी रातभर इलाके में रूट मार्च करती रही। सुरक्षा एजेंसियों का मकसद था कि धार्मिक आयोजन निर्बाध और शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो, लेकिन आसपास के इलाकों में तनाव की स्थिति बनी रही।राजनीतिक पटल पर आयोजन ने जबरदस्त उथल-पुथल मचा दी। भाजपा ने इस कार्यक्रम का कड़ा विरोध किया और इसे देश के बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं को भड़काने वाला बताया। भाजपा के पूर्व सांसद अर्जुन सिंह ने इसे संविधान अपमान बताया और चेतावनी दी कि बाबरी मस्जिद के नाम पर कोई निर्माण संवेदनशीलता को खतरे में डाल सकता है। दूसरी तरफ, हुमायूं कबीर ने किसी भी राजनीतिक दबाव के आगे न झुकने का संकल्प व्यक्त किया और बहुसंख्यक समुदाय के विरोध के बावजूद शिलान्यास पूरा करने की बात कही।कोलकाता हाईकोर्ट में इस आयोजन को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें शिलान्यास पर रोक लगाने की माँग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह कार्यक्रम क्षेत्र की सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकता है और आयोजकों की भड़काऊ टिप्पणियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई आवश्यक है। हालांकि, डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का दायित्व है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर किसी भी पक्ष से शांति भंग करने वाली हरकत होती है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।हुमायूं कबीर के राजनीतिक करियर में यह आयोजन एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उन्हें पहले भी टीएमसी द्वारा साम्प्रदायिक राजनीति के आरोप में निलंबित किया जा चुका है। निलंबन के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया और अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना बनाई है, जो आगामी लोकसभा चुनावों में उनकी नई पहचान बन सकती है।

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