रांची : श्री जिनसहस्त्रनाम स्त्रोत्र की शान्ति धारा का सौभाग्य श्री धर्मचन्द जी पारसमल जी पाटोदी परिवार एवम् श्रीमती चमेली देवी अरुण कुमार अजय कुमार अजमेरा परिवार ने किया। उसके बाद मुनी श्री का प्रवचन हुआ प्रवचन में मुनी श्री ने कहा – आज पुनः हम सभी का महाभाग्य का उदय हुआ है जो सर्वज्ञ की देशना हमें प्राप्त हो रही है हम पुण्यशाली जीव है जिन्हें देशना श्रवण का लाभ मिल रहा है और उनमें से बहुत ही ऐसे जीव हैं जो देशना के अनुसार अपने आचरण को बना लेते हैं, यह मानकर चलना जब तक पुण्य का उदय नहीं होगा तब तक सुखम योगी की प्राप्ति नहीं होती और प्राप्त हुए सुखमय योग काल में जो व्यक्ति अपने पुरुषार्थ को जब तक जागृत नहीं करता है तब तक वह कल्याण के मार्ग पर अग्रसर नहीं होता है अनादि काल से हम सभी को संसार में भ्रमण करते हुए अनंत काल व्यतीत हो गए जब आदिनाथ थे तब भी हम थे जब भगवान महावीर हुए तब भी हम हैं अनंत चौबिसियां निकल गई तब भी हम थे और हम संसार में ही रम गए सब परिणाम की विचित्रता है सभी अच्छी तरह जानते हैं इतनी विचित्रता है कि क्षण मात्र में परिणाम कभी आसमान को छू लेते हैं तो कभी रसातल पर समा जाते हैं। जगत में कांच के गिलास को टूटने में देर लग सकती है लेकिन परिणाम को बदलने में देर नहीं लगती। क्षण मात्र में व्यक्ति ऊपर से नीचे आ जाता है यही विचित्रता है, परिणामो की इन्हें ऊपर ले जाने में बहुत मेहनत लगती है और नीचे ले जाने में के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं । अग्रसर संसार के वश में यह सहज नीचे चले जाते हैं जिस तरह पानी को ऊपर चढ़ाने हो तो मोटर पंप की आवश्यकता होती है मगर नीचे गिरने के लिए किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं होती जिस प्रकार पानी की गति सहज होती है इस प्रकार संसार में जीवो के परिणामो के वशीभूत होकर उर्ध्वगमन स्वभाव का उदय होता है तो जीवों का विवेक नष्ट हो जाता है कर्म के उदय में वह अपने संसार का भ्रमण करता है और कभी-कभी कसाय वश बैरवश सामने वाली व्यक्ति से द्वेष हो तो हो उसे व्यक्ति के द्वेष के कारण सच्चे देव शास्त्र गुरु को का भी अनादर कर देता है।
सभा का संचालन मंत्री पंकज पांड्या ने किया। बाहर से आए अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष नरेन्द्र गँगवाल ने किया। यह जानकारी उपाध्यक्ष प्रदीप बाकलीवाल एवम् मीडिया प्रभारी राकेश काशलीवाल ने दी।