रांची।झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव 2024 में दलबदलू उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने टिकट पर दलबदलुओं को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन अधिकांश उम्मीदवार जनता के विश्वास को जीतने में असफल रहे।
दलबदलुओं की हार का आंकड़ा
राज्य के प्रमुख दलों जैसे झामुमो, भाजपा, आजसू, बसपा, कांग्रेस और सपा ने मिलकर लगभग 27 दलबदलू नेताओं को टिकट दिया। इनमें से केवल 8 उम्मीदवार ही जीतने में सफल रहे, जबकि 19 को हार का सामना करना पड़ा। यह परिणाम इस बात का संकेत है कि जनता ने दलबदलुओं को नकार दिया है।
भाजपा के दलबदलू उम्मीदवार
भाजपा ने अपने टिकट पर 8 दलबदलुओं को मैदान में उतारा, जिनमें से 5 हार गए। हारने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में लोबिन हेम्ब्रम (बोरियो), सीता सोरेन (जामताड़ा), बाबूलाल सोरेन (घाटशिला) और गीता कोड़ा (जगन्नाथपुर) शामिल हैं। हालांकि, रौशन लाल चौधरी (बड़कागांव), डॉ. मंजू देवी (जमुआ), चंपाई सोरेन (सरायकेला) जैसे कुछ उम्मीदवार जीतने में सफल रहे।
झामुमो के दलबदलू उम्मीदवार
झामुमो ने भी 7 दलबदलू नेताओं को टिकट दिया, जिनमें से 3 हार गए। जीतने वाले उम्मीदवारों में लुईस मरांडी (जामा) और उदय शंकर सिंह (सारठ) शामिल हैं। अन्य हारने वाले उम्मीदवारों में गणेश महली (सरायकेला) और केदार हाजरा (जमुआ) का नाम शामिल है।
आजसू और कांग्रेस के दलबदलू
आजसू ने कांग्रेस के 2 नेताओं को टिकट दिया, लेकिन दोनों ही हार गए। वहीं, कांग्रेस ने भी 2 दलबदलुओं को टिकट दिया, जिनमें से केवल राधाकृष्ण किशोर (छतरपुर) ही जीतने में सफल रहे।
सपा और बसपा के दलबदलू
सपा ने 7 दलबदलुओं को मैदान में उतारा, लेकिन सभी हार गए। इसी तरह, बसपा ने आजसू से आए शिवपूजन मेहता को टिकट दिया, जो हार गए।
निष्कर्ष
इस चुनाव परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता अब दलबदलुओं पर भरोसा नहीं कर रही है। राजनीतिक दलों को इस संदेश को समझते हुए अपने प्रत्याशियों का चयन करते समय अधिक सावधानी बरतनी होगी। चुनावी रणनीतियों में बदलाव की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे परिणामों से बचा जा सके।