चास:- बोकारो वन प्रमंडल ने 05 जगहों पर छापेमारी की गई, जिसमें विभिन्न प्रकार के वन्यजीव ट्रॉफी को बरामद किया गया, जिसकी अवैध बिक्री हो रही थी। गुप्त सूचना के आधार पर बोकारो वन प्रमण्डल के प्रशिक्षु अधिकारी, संदीप कारभरी शिंदे, ने अपनी चास टीम को छापेमारी के लिए सूचना दी और उनके द्वारा चास एवं पेटरवार दोनो मिलाकर कुल – 05 जगहो पर छापेमारी की गई. जिसमें तकरीबन 120 हथाजोड़ी (गोह प्राणी का लिंग), हाथी तथा सियार की हड्डियाँ, कस्तुरी, विभिन्न प्राणी की चमड़ी तथा Porcupine के काँटे जप्त की गई। उक्त छापेमारी में ज्यादात्तर पूजा भंडार शामिल है, जिनके पास यह सामग्री पाई गई जो कि काले जादू के लिए उपयोग में आती है। बोकारो वन प्रमण्डल द्वारा इसकी जाँच कर 06 अभियुक्तों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत जिला न्यायालय, बोकारो में मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें 03 से 07 साल तक का सजा का प्रावधान है।रजनीश कुमार, वन प्रमण्डल पदाधिकारी, बोकारो वन प्रमण्डल ने इस संबंध में आम नागरिकों के लिए संदेश दिया है कि गोह प्राणी एक शेड्यूल 1 का प्राणी है, जिसकी शिकार करके उसके लिंग से हथाजोड़ी बनाई जाती है, जिसे लोग एक पेड़ का जड़ीबूटी मानते है, लेकिन वास्तविकता में वह एक प्राणी का अंग है। उन्होने आम नागरिको को इसके बारे में जागरूक करते हुए यह विनती भी की है कि ऐसे कालेजादू के बहकावे में ना आए और इस हथाजोड़ी की लेन-देन खरीद-फरोक्त में भाग ना लें। उन्होंने सारे ही पूजा भंडारो को भी यह सूचना दी है कि आप इसके खरीद-फरोक्त में ना आए । अगर आपको इसके बारे में जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना तुरन्त बोकारो वन प्रमण्डल को दें।
उक्त हथाजोड़ी से संबंधित मामला बोकारो प्रमण्डल में पहली बार पाया गया है और यह एक संगीन तरह का वन्यजीव अपराध है, जिससे पर्यावरण के संतुलन में काफी हानि हो सकती है। उक्त वन्यजीव अपराध में लिप्त गिरोह का पर्दाफाश करने में रूद्र प्रताप सिंह, प्रभारी वनपाल, रतन राय, वनरक्षी एवं श्री भगवान दास हेम्ब्रम, वनरक्षी, की मुख्य भूमिका रही।