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30 जुलाई तक 150 मिमी वर्षापात होने की स्थिति में बिचड़े की रोपनी संभव: कृषि पदाधिकारी चतरा

30 जुलाई तक 150 मिमी वर्षापात होने की स्थिति में बिचड़े की रोपनी संभव: कृषि पदाधिकारी चतरा

चतरा ब्यूरो महेंदर कुमार की रिपोर्ट

चतरा: मानसून की बेरुखी का सीधा असर खरीफ की फसल पर पड़ रहा है। खरीफ वह फसल है, जिन्हें जून-जुलाई में बोया जाता है और अक्टूबर महीने के आसपास कटाई की जाती है। खरीफ फसलों में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मुंगफली, गन्ना, सोयाबीन आदि शामिल है। जून महीने में सामान्य वर्षापात 167.1 मिलीमीटर होना चाहिए था। किंतु जून महीने में वास्तविक वर्षापात मात्र 13.3 मिलीमीटर ही हुआ है। जुलाई महीने के 19 तारीख तक सामान्य वर्षापात 308.2 मिलीमीटर की तुलना में 19 जुलाई तक वास्तविक वर्षापात मात्र 35.7 मिलीमीटर ही हुआ है। जबकि सिमरिया, इटखोरी, हंटरगंज और कुंदा प्रखंड में वर्षा मापक यंत्र खराब है। किसानों के समक्ष उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसानों की माने तो 25 जुलाई से धान की बिचड़ा का रोपनी प्रारंभ किया जाता था। लेकिन वर्तमान समय में वर्षा के अभाव के कारण बिचड़ा को जीवित रखने पर ही संकट के बादल छाया हुआ है। इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी अशोक सम्राट ने बताया कि जिले में 70 से 75 प्रतिशत बिचड़ा तैयार किया गया है। 30 जुलाई तक 100 से 150 मिलीमीटर तक वर्षा हो जाता है तो धान की बिचड़े की रोपनी संभव है।

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