महुआडांड़ मस्जिदें गौसिया में खत्मे तरावीह, अंजुमन कमेटी के द्वारा इमाम साहब को दिए गए तोहफ़े।
महुआडांड़ स्थित मस्जिदें गौसिया में खत्मे तरावीह अदा की गई। यह तरावीह की नमाज़ मस्जिदें गौसिया के हाफिज मसूद आलम के द्वारा बहुत ही उम्दा अंदाज में पढ़ाया गया।तरावीह में दर्जनों लोग मस्जिद पहुंचकर तरावीह की नमाज अदा किए। तरावीह की नमाज में कुरान शरीफ के तीस पारे को बगैर देखे इमाम के द्वारा पढ़ाई जाती है। यह तरावीह रोजे के दिनों में पढ़ाई जाती है। खत्मे तरावीह को लेकर मस्जिद में ही महफिलें मिलादे पाक का प्रोग्राम रखा गया। इस प्रोग्राम में मस्जिदे गौसिया के मुफ्ती इल्हाकुल कादरी के द्वारा कुरान शरीफ से क्या है,इसके पढ़ने के क्या फायदे हैं साथ ही रोजा से संबंधित विस्तृत रूप से जानकारी दिया गया उन्होंने कहा रोजा हर आकिल व बालिक पर फर्ज है। इसके बावजूद भी जो रोजा नहीं रखता है वह गुनहगार होगा। आगे उन्होंने कहा कि कुरान शरीफ के तीस पारे को याद कर बगैर देखे पढ़ कर सुनाना यह बहुत ही सआदतमंदी की बात है। वहीं डिपाटोली के मोहम्मद सहजाद आलम के द्वारा दरूद शरीफ की फजीलत बयान की गई।दुरूद शरीफ पढ़ने के क्या फायदे हैं। उन्होंने कहा जब कोई बंदा एक बार दुरूद शरीफ पढ़ता है उसके लिए अल्लाह तबारक व ताला रहमत के 70 दरवाजे खोल देता है, 70 दर्जात बुलंद कर देता है, और 70 गुनाह माफ फरमाता है। इसके अलावे दरूद शरीफ पढ़ने के बहुत सारे फवाईद है। साथ ही मोहम्मद शहजाद आलम के द्वारा अपने नात में हुजूर की शान में बयान करते हुए कहा गया की जो हो चुका है जो होगा हुजूर जानते हैं, कहां है अरसे मोअल्ला हुजूर जानते हैं, बरोजे हस्र सफात करेंगे चुन चुन कर, हर एक गुलाम का चेहरा हुजूर जानते हैं। जिसके बाद इमाम साहब को महुआडांड़ अंजुमन कमेटी के द्वारा तोहफा के रूप में पैसे व कपड़े पेश किए गए।
जिसके बाद सलातो सलाम पढ़ी गई और अंत मे हाफिज मसूद आलम के द्वारा खुशीशी अंदाज में दुआ की गई। जिसके उपरांत उपस्थित लोगों के बीच शिरनी बांटी गई। इस तरह से तरावीह का प्रोग्राम खत्म हुआ। मस्जिदे गौसिया के सदर मंजूर अंसारी सेक्रेटरी सहाबुद्दीन खान खजांची अब्बास अंसारी, डॉक्टर फैज अहमद, नूरल अंसारी शमशाद अंसारी अस्ताज अंसारी फिरोज अंसारी, लाडले खान समेत अन्य लोग उपस्थित थे।