महुआडाँड़ में लंबे समय बाद प्रखंड में कच्ची नहर को पक्की करण करने का काम निकाला गया,ताकी किसानों को कृषि कार्य के लिए पानी दिया जा सके। मगर इन कार्यो में भी गुणवत्ता नहीं है। लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते संवेदक के द्वारा कार्य की खानापूर्ति किया जा रहा है। नकटी नदी में पक्की करण नहर निर्माण का काम चार साल से ही चालू है, निर्माण कार्य का यह पांचवा वर्ष चल रहा है। जबकि निर्माण कार्य एक साल में पूरा करना था । वही इस योजना के साथ शुरू हुई दूसरी योजना जो ग्राम डम्बरडीह से लेकर अहिरपुरवा ग्राम तक सात किलोमीटर पक्की नहर का निमार्ण इस के बाद शुरू होने के बावजूद दो साल में पूरा कर दिया गया ।स्तरहीन निर्माण के चलते कांक्रीट उखड़ने लगी है। योजनाओं के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता सही न होने से दूसरी ही बारिश में बनाते ही क्षतिग्रस्त हो रही हैं। लघु सिंचाई विभाग के द्वारा 3 करोड़ 20 लाख रूपये की लागत से कराए जा रहे नकटी नदी नहर निर्माण कार्य में दो वर्ष बीत जाने के बाद भी नहर निर्माण पुर्ण नहीं होने से किसानों को खेती की चिंता सता रही है। इससे विभाग की कार्य प्रणाली एवम संवेदक संतोष कश्यप के निर्माण कार्य पर सवाल खड़े होने लगे हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि नहर के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है।बताते चले की नकटी नदी नहर महुआडांड़ प्रखंड की अतिमहत्वपूर्ण नहर है,जिसका लाभ अम्वाटोली,रेगाई, रामपुर,डीपाटोली,और महुआडांड़ पंचायत के किसानों को मिलता है।किसान कृष्णा प्रसाद मो सजाद मो नसीम आदि का कहना है कि एक तो लम्बे समय बाद नहर की मरम्मत की गई ऐसे में किसानों को आस जगी थी कि अब पानी उनके खेतों के अंतिम छोर तक पहुंचेगा मगर गुणवत्ता विहिन निर्माण में किसानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। विभाग के अधिकारियों ने गुणवत्ता विहीन निर्माण की मानिटरिंग करना भी मुनासिब नही समझा। इसके चलते किसानों का इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा । वहीं नहर निर्माण में कहीं पर भी संवेदक द्वारा सीढ़ी व लोगों को आने जाने के लिए कोई पूल की व्यवस्था नहीं की गई है।वही नहर निर्माण में कही भी खेत में पानी निकासी के आउट लेट नहीं छोड़ा गया है । अभी तक एक भी आउट लेट नहीं बनाया गया है। काम को जल्दीबाजी में खत्म कर भागने के चक्कर में बीयर और जगह जगह गाडवाल एवं पूल का निर्माण घटिया किया जा रहा है।
इस योजना में मजूदर काम कर रहे विरसाय नागेशिया ने बताया कि तीन महीने का बकाया राशि 9800 रू मुंशी द्वारा नहीं किया गया है, वही साथ में काम कर रहे विरसी देवी, कुसूम देवी का भी मजदूरी भुगतान बाकी है। पुराने मुंशी के बदल जाने से इनका भुगतान अधूरे में लटक गया है।