ऐसा रोजगार सेवक जो करते हैं साइकिल से 25 किलोमीटर का सफर
लातेहार : मनरेगा की बात करें तो एक बार जेहन में भ्रष्टाचार गबन व कागजों में काम होने की बात सामने आने लगती है। बिचौलियों का मानना है की मनरेगा एटीएम कार्ड है। जबकि इससे विपरीत एक ऐसा रोजगार सेवक है । जो साइकिल के सहारे चंदवा प्रखंड कार्यालय तथा सासंग पंचायत पहुंचकर मनरेगा से जुड़े कार्यों का निष्पादन करता है। सुरेंद्र कुमार राम नाम का रोजगार सेवक लातेहार के नेवाड़ी पंचायत का रहने वाला है। पढ़ा लिखा होनहार रोजगार सेवक हर काम को इमानदारी पूर्वक करता है।
कम वेतन में मुश्किल से होता है गुजारा: सुरेंद्र का कहना है कि ₹7000 के मासिक वेतन में बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता है। वेतन भी कभी मिलता है कभी महीनों तक नहीं मिल पाता है ऐसे में घर परिवार चलाकर काम करना काफी परेशानी का विषय होता है।
सबसे ज्यादा कमीशन: चुकीं मनरेगा की योजनाएं अधिकतर सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होती है जहां अधिकारियों का जाना आसान नहीं होता है । कई स्थानों में मनरेगा की योजनाएं कागजों पर ही सिमट कर रह जाती है । इन योजनाओं में मनरेगा से जुड़े कर्मियों को सबसे ज्यादा कमीशन जाता है। ऐसे में कई रोजगार सेवकों का आय अच्छा खासा होता है।