सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की जेल में हुई मृत्यु भारत के लोकतंत्र पर गहरा कलंक है ।यह स्वाभाविक मृत्यु नहीं बल्कि एक डरी एवं सड़ी गली फासिस्ट विचारों वाली केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार के चमचों एवं गुंडों के द्वारा भ्रष्ट न्यायपालिका के साथ षड्यंत्र कर की गई हत्या है।
जिस प्रकार अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा के कार्यों एवं विचारों से डरकर जेल में ही उनकी हत्या करवा दी थी ठीक उसी प्रकार भ्रष्ट मोदी सरकार ने भी फादर स्टेन स्वामी के कार्यों एवं विचारों से डर कर उनकी हत्या करवा दी। अंग्रेजों ने तो जवान बिरसा मुंडा से डर कर उन्हें मारा था मगर 56 इंची छाती वाली मोदी सरकार तो इतनी डरपोक निकली कि उसे 84 वर्षीय बीमार वृद्ध एवं जेल में बंद व्यक्ति से भी डर लगने लगा और डर इतना बढ़ गया कि उसकी हत्या करवानी पड़ी।
भ्रष्ट और तानाशाह सरकारें तथा उनके अंधभक्त हमेशा यही समझते हैं कि क्रांतिकारियों और विचारकों को मार कर क्रांति और विचारों की ज्वाला बुझा दी जाएगी परंतु शायद उन्हें यह नहीं पता कि क्रांति और विचार कभी मरते नहीं बल्कि और भी जीवंत हो जाते हैं, उसकी चिंगारी और भड़क कर शोलों के रूप में तब्दील हो जाती है। जिस प्रकार भगत सिंह एवं भगवान बिरसा मुंडा को मारने के बाद भी अंग्रेज भारत में टिक नहीं सके और उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा उसी प्रकार भाजपा नीत तानाशाह मोदी सरकार का भी भागना और जाना तय है।क्योंकि इतिहास गवाह है कि लोकतांत्रिक विचारों वाली जनता ने ना तो कभी तानाशाही और हिटलर शाही बर्दाश्त किया है और ना ही आगे बर्दाश्त करेगी।
उक्त बातें झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य सह जिला प्रवक्ता दीपू कुमार सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही है।