जेपीएससी अभ्यर्थी शशि पन्ना ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि माननीय उच्च न्यायालय का फैसला इतिहासिक और छात्रों के हित में है, झारखंड सरकार को अब इस फैसले के बाद पूरा छठी जेपीएससी को रद्द कर पुनः विज्ञापन निकाल कर परीक्षा लेने चाहिए क्योंकि सभी अभ्यर्थियों का अंक सार्वजनिक हो गया है और गोपनीयता भंग हो चुका है इसलिए अब संशोधित रिजल्ट जारी करना संभव नहीं यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला का उल्लंघन होगा।
जेपीएससी मुद्दे पर लगातार संघर्ष कर रहे जेपीएससी अभ्यर्थी अनिल पन्ना का कहना है कि माननीय हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय स्वागत योग्य है।जेपीएससी की तैयारी कर रहे हज़ारों छात्रों की जीत है।आने वाले समय में पूरी प्रक्रिया को रद्द करने में आगे काम करेंगे।अनिल पन्ना का कहना है कि आयोग की गोपनीयता भंग हो चुकी है,पब्लिक डोमिन में मुख्य परीक्षा का मार्क्स और इंटरव्यू का मार्क्स प्रदर्शित हो चुका है ,ऐसे में नया मेरिट रिजल्ट जारी करना आयोग के लिए आसान नहीं होगा।
जेपीएससी अभ्यर्थी राज कुमार मिंज का कहना है कि आज की जीत हज़ारों छात्रों की जीत है।न्यायालय के प्रति हज़ारों छात्रों का और विश्वास बढ़ा है।आने वाले समय में आयोग के लिए एक सीख होगी।
झारखंड हाईकोर्ट ने छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में नियुक्त 326 अभ्यार्थियों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश दिया है . कोर्ट ने आयोग को कहा है कि वह आठ हफ्ते के भीतर नयी मेरिट लिस्ट जारी करें. हाईकोर्ट में छठी जेपीएससी को लेकर 16 मामलों की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट सभी याचिकाओं को चार कैटेगरी में बांट कर सुनवाई कर रहा था. जस्टिस एसके द्विवेदी की एकलपीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद 11 फरवरी 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राहुल कुमार व दिलीप कुमार सिंह सहित अन्य प्राथिर्यों की ओर से दायर याचिका में अलग-अलग बिंदु उठाये गये हैं.प्रार्थी की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता शुभाशीष रशिक सोरेन ने पक्ष रखा था,इसमें कहा गया है कि जेपीएससी ने अंतिम रिजल्ट जारी करने में नियमों की अनदेखी की है. क्ववालिफाइंग मार्क्स को कुल प्राप्तांक को जोड़े जाने को गलत बताया गया है. प्रार्थियों का कहना था कि छठी जेपीएससी परीक्षा के पेपर वन (हिंदी-अंग्रेजी) के क्वालिफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया है, जबकि विज्ञापन की शर्तों के अनुसार अभ्यर्थियों को पेपर वन में सिर्फ क्वालिफाइंग अंक लाना था और इसे कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाना था. क्वालिफाइंग अंक को कुल प्राप्तांक में जोड़ने की वजह से अधिक अंक प्राप्त करने वाले कई अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका है।
इसके अलावा सभी पेपर में अलग-अलग निर्धारित न्यूनतम अंक लाना अनिवार्य था, लेकिन जेपीएससी ने दोनों पेपर के अंक को जोड़कर मेरिट लिस्ट बनाई है।इसके चलते ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हो गया है, जो एक पेपर निर्धारित न्यूनतम अंक भी नहीं लाए हैं।
इसकेअलावा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को गलत कैडर देने के आरोप से जुड़ी याचिका भी कोर्ट में दाखिल की गयी थी. याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि इनकी वजह से अंतिम परिणाम प्रभावित हुआ है।