नई दिल्ली: देश में जारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Coronavirus second wave) के चलते लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं. रोजाना साढ़े 3 लाख से ज्यादा नए संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं तो वहीं हर दिन हजारों लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो रही है. लेकिन एक और खतरा जो संक्रमण की इस दूसरी लहर में देखने को मिल रहा है वह है- बच्चों में दिख रहा संक्रमण (Corona Infection in kids). कोरोना वायरस की इस दूसरी लहर में बड़ी संख्या में बच्चे भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं.
इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार बच्चों के लिए कोविड-19 की अलग गाइडलाइन्स (Covid-19 guidelines for kids) जारी की है.
वैसे बच्चे जिनमें कोरोना संक्रमण तो है लेकिन उनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं (Asymptomatic), ऐसे बच्चों के लिए किसी तरह के इलाज का सुझाव नहीं दिया गया है. हालांकि, उनमें संभावित लक्षणों पर नजर रखने की बात जरूर कही गई है (Keep an eye on symptoms). स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दो डॉक्यूमेंट जारी किए गए हैं जिसमें से एक है बच्चों को होम आइसोलेशन में रखने के लिए रिवाइज्ड गाइडलाइन्स और पीडिएट्रिक एज ग्रुप यानी बच्चों के इलाज के लिए मैनेजमेंट प्रोटोकॉल.
माइल्ड इंफेक्शन के लिए गाइडलाइन्स
अगर बच्चे में इंफेक्शन के माइल्ड लक्षण हैं (Mild Symptoms) जैसे- गले में खराश या गले में दर्द और कफ है लेकिन सांस से जुड़ी कोई समस्या नहीं है तो
-बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें (Home isolation)
-शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए अधिक से अधिक पानी पिलाएं, लिक्विड चीजें दें.
-अगर बुखार आता है तो 10-15 mg पैरासिटामोल (Paracetamol) दें.
मॉडरेट यानी मध्यम श्रेणी का इंफेक्शन होने पर
-इस कैटगरी में ऐसे बच्चों को शामिल किया गया है जिनका ऑक्सीजन लेवल कम है (Low oxygen level) लेकिन बच्चे में निमोनिया के लक्षण नहीं हैं.
-मॉडरेट यानी मध्यम लक्षण वाले बच्चों को कोविड हेल्थ सेंटर में एडमिट (Admit in hospital) किया जा सकता है.
-इस दौरान उन्हें तरल चीजें ज्यादा देनी है ताकि डिहाइड्रेशन न हो. साथ ही ओवरहाइड्रेशन से भी बचना है.
-बुखार के लिए पैरासिटामोल और अगर बैक्टीरियल इंफेक्शन हो तो एमोक्सिसिलिन दे सकते हैं.
-अगर बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन 94% से कम हो तो बच्चे को ऑक्सीजन दी जानी चाहिए (Provide oxygen).
इंफेक्शन गंभीर होने पर
-इस स्टेज पर बच्चों में गंभीर निमोनिया (Pneumonia), रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS), मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (MODS) और सेप्टिक शॉक जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं.
-ऐसे बच्चों को तुरंत आईसीयू या एचडीयू में भर्ती करने की सलाह दी गई है. गाइडलाइन में इन बच्चों का कंप्लीट ब्लड काउंट, लिवर, रीनल फंक्शन टेस्ट और चेस्ट एक्स रे कराने की सलाह दी गई है.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Rajdhani News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)