घाटशिला कमलेश सिंह
धान के कटोरे के रूप में विख्यात बहरागोड़ा प्रखंड के बहरागोड़ा एवं परसौल में इस वर्ष गरमा धान की बेहतर खेती हुई है। बरसात क्षेत्र में किसान निजी स्तर से सिंचाई की व्यवस्था कर गरमा धान की खेती करते हैं। यहां तो कैनाल से पानी की सुविधा है ना चेक डैम किसान निजी स्तर पर डीप बोरिंग और कई प्रकार से निजी सिंचाई व्यवस्था करते हैं कई जगह सरकार की ओर से डीप बोरिंग कराई गई है लेकिन वह सीमित संख्या में है। बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के किसान खेती पर आधारित है बारागुड़ा प्रखंड के 75% लोग कृषि पर आधारित है इस वर्ष गरमा धान की खेती लगभग 8 सौ हेक्टेयर यानी 21 सौ एकड़ में हुई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर सब ठीक-ठाक रहा तो प्रति एकड़ 40 क्विंटल के हिसाब से धान की उपज होगी। गरमा धान की खेती को ओलावृष्टि तूफान और हवा के झोंके से खतरा रहता है।
क्या कहते सहायक तकनीक प्रबंधक
सहायक तकनीक प्रबंधक निर्मल महतो का कहना है कि लगभग 8 सौ हेक्टेयर यानी 21 सौ एकड़ में गरमा धान की खेती हुई है। इस बार खेती बेहतर हुई है सब ठीक-ठाक रहा तो किसान प्रति एकड़ 40 क्विंटल तक धन प्राप्त कर सकते हैं।