मोहम्मद शहजाद आलम।
महुआडांड़ के एक मात्र रामपुर नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। रामपुर नदी स्थित छठ घाट में हर सप्ताह कुछ लोगों के द्वारा टीम बना कर मछली मारने का कार्य किया जा रहा है।मछली मारने के क्रम में पुरा नदी को बांध कर मछली मारने का कार्य बृहद पैमाने पर किया जाता है।जिससे नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।वहीं महुआडांड़ का रामपुर नदी ऐसा स्थान है जहां सुबह से शाम तक हजारों की संख्या में सभी समुदाय के लोग नहाने एवं कपड़ा धोने का कार्य करते हैं। परंतु मछली मारने के दौरान लोग आकर मछली मारने वालों को खरी खोटी सुना कर वापस चलें जाते हैं। परंतु मछली मारने वालों कान जूं तक नहीं रेंगती।और लोगों की बातों को अनदेखी कर मछली मारने में मशगूल रहते हैं और पूरी नदी को तहस नहस कर चले जाते हैं। इसलिए पहले की अपेक्षा नदी का रंग रुप बुरी तरह से खराब हो गया है।अगर इस ओर प्रशाशन एवं ग्रामीणों के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो इसका नतीजा बहुत ही खराब हो सकता है।
बता दें कि महुआडांड़ का एकमात्र रामपुर नदी महुआडांड़ के सभी समुदायों के लिए लाईफलाईन नदी है।इस नदी से हजारों लोग पानी से जुड़ी हर कार्यों का निपटारा तो करते ही हैं।साथ में छठ पूजा,शवों की अंत्येष्टि,समेत कई कार्यों का निपटारा इस नदी के द्वारा किया जाता है।अगर इसी तरह आये दिन मछली मारने का कार्य लागातार किया जायेगा तो निश्चित रूप से नदी का अस्तित्व मिट जायेगा।क्यों कि हमारे पूर्वजों का मानना है कि प्रकृति से खिलवाड़ किया गया तो वह स्वयं अपने आपको खत्म कर लेती है।